RBI Guidelines 2025 – अक्सर ऐसा होता है कि अचानक कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाए, नौकरी चली जाए या कोई बड़ा खर्च सामने आ जाए और लोग मजबूरी में लोन ले लेते हैं। शुरुआत में सब कुछ ठीक चलता है लेकिन धीरे-धीरे जब EMI भरना मुश्किल हो जाता है, तो दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। बैंक कॉल करने लगते हैं, रिकवरी एजेंट पीछे पड़ जाते हैं और लोन डिफॉल्टर बनने का डर सताने लगता है।
लेकिन अगर आप भी ऐसी ही स्थिति में हैं, तो अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। RBI यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने 2025 में लोन न चुका पाने वालों यानी लोन डिफॉल्टर्स के लिए कुछ नए अधिकार तय किए हैं। अब बैंक आपकी संपत्ति जब्त करने से लेकर, रिकवरी एजेंट भेजने तक हर स्टेप पर कुछ नियमों का पालन करेंगे। आइए समझते हैं, आपके ये 5 जरूरी अधिकार कौन-कौन से हैं।
1. बिना नोटिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकता बैंक
अगर आपने दो या तीन महीने की EMI नहीं भरी है, तो बैंक तुरंत आपकी संपत्ति जब्त नहीं कर सकता। RBI के मुताबिक, किसी खाते को NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट तभी माना जाएगा, जब लगातार 90 दिनों तक किश्त ना भरी गई हो।
और अगर बैंक को कोई कार्रवाई करनी है – जैसे कि घर या जमीन जब्त करनी है – तो उसे पहले लिखित नोटिस देना जरूरी है। बिना जानकारी के कोई भी सीधी कार्रवाई नहीं की जा सकती।
2. रिकवरी एजेंट अगर धमकाए तो कर सकते हैं शिकायत
कई बार बैंक के रिकवरी एजेंट बदतमीजी पर उतर आते हैं। फोन पर धमकाना, गाली-गलौच करना या बार-बार कॉल करना आम बात हो जाती है। लेकिन RBI के नियम कहते हैं कि कोई भी एजेंट सुबह 7 बजे से पहले या शाम 7 बजे के बाद संपर्क नहीं कर सकता।
अगर कोई एजेंट इस नियम का उल्लंघन करता है या बदसलूकी करता है, तो आप उसकी शिकायत बैंक और आरबीआई दोनों से कर सकते हैं। बैंक को फिर उस एजेंट के खिलाफ जरूरी एक्शन लेना होगा।
3. संपत्ति की नीलामी से पहले देना होगा 30 दिन का नोटिस
अगर बैंक आपकी गिरवी रखी प्रॉपर्टी को बेचने या नीलाम करने जा रहा है, तो उसे पहले 30 दिन का पब्लिक नोटिस देना होगा। इस नोटिस में ये साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि कौन-सी प्रॉपर्टी नीलाम की जा रही है, कब नीलामी होगी और किस कीमत से शुरुआत होगी।
बिना नोटिस और जानकारी के बैंक आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम नहीं कर सकता।
4. नीलामी में गड़बड़ी हो तो उसे चुनौती देने का हक है
मान लीजिए कि आपकी प्रॉपर्टी की नीलामी हुई लेकिन आपको लगता है कि उसकी कीमत बहुत कम लगाई गई, या पूरी प्रक्रिया ठीक तरीके से नहीं की गई, तो आप उस नीलामी को कोर्ट या बैंकिंग ट्रिब्यूनल में चुनौती दे सकते हैं।
इसके अलावा, कोई भी बैंक आपको सीधे लोन डिफॉल्टर नहीं घोषित कर सकता। पहले उसे आपको रीपेमेंट का मौका देना होगा, उसके बाद ही किसी तरह की कानूनी प्रक्रिया की जा सकती है।
5. बची हुई रकम पाने का भी हक है आपका
अगर बैंक आपकी संपत्ति बेचकर लोन की रकम वसूल कर लेता है और उससे ज्यादा रकम मिलती है, तो जो पैसा बचता है वो बैंक अपने पास नहीं रख सकता। उस बचे हुए पैसे पर भी आपका ही हक है।
बस इसके लिए आपको एक छोटा सा आवेदन करना होता है और बैंक को वो रकम वापस करनी ही होती है।
क्यों जरूरी हैं ये अधिकार?
इन सभी नियमों और अधिकारों को लागू करने के पीछे RBI का मकसद है कि लोन न चुका पाने वालों के साथ बैंक इंसाफ करें। अक्सर देखा गया है कि बैंक और उनके एजेंट दबाव डालकर लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर देते हैं। ये अधिकार उसी से लोगों को बचाने के लिए बनाए गए हैं।
क्या करें अगर आप लोन नहीं चुका पा रहे
- सबसे पहले बैंक से बात करें और ईएमआई रीशेड्यूलिंग के लिए रिक्वेस्ट करें
- अगर नौकरी चली गई है या आमदनी घट गई है तो बैंक को लिखित में सूचित करें
- किसी भी तरह की धमकी या डराने-धमकाने की स्थिति में तुरंत शिकायत करें
- अगर वकील की जरूरत हो तो लीगल हेल्प ज़रूर लें
- कोशिश करें कि कोई समझौता हो जाए, जिससे दोनों पक्षों को राहत मिले
लोन लेना आसान है लेकिन चुकाना कई बार मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अगर आप वाकई मजबूरी में फंसे हैं, तो अपने अधिकारों को जानना बहुत जरूरी है। RBI के नए नियम आम आदमी को राहत देने के लिए हैं, ताकि बैंक किसी के साथ ज्यादती न कर सके।