Sunday School Open – मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों और उनके माता-पिता के लिए एक जरूरी खबर है। उज्जैन में अब स्कूल रविवार को खुलेंगे और सोमवार को छुट्टी रहेगी। जी हां, ये थोड़ा उल्टा जरूर लग रहा है लेकिन इसके पीछे की वजह भी खास है।
दरअसल, जिले में हर साल की तरह इस बार भी श्रावण महीने में बाबा महाकाल की सवारी निकलेगी। इस दौरान पूरे उज्जैन शहर में काफी भीड़भाड़ और ट्रैफिक होता है। ऐसे में छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन ने फैसला किया है कि 14 जुलाई से लेकर 11 अगस्त तक हर रविवार स्कूल खुले रहेंगे और सोमवार को छुट्टी रहेगी।
क्यों बदला गया स्कूल का टाइमटेबल?
अब आप सोच रहे होंगे कि हर जगह तो रविवार को स्कूल बंद रहते हैं, तो सिर्फ उज्जैन में ये बदलाव क्यों? इसका सीधा-सा जवाब है — बाबा महाकाल की सवारी।
श्रावण मास हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इस महीने में उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से हर सोमवार को बाबा महाकाल की शाही सवारी निकलती है। यह सवारी शहर के कई हिस्सों से होकर गुजरती है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसमें हिस्सा लेते हैं।
इस दौरान कई रास्ते बंद कर दिए जाते हैं, शहर में भारी भीड़ होती है और सुरक्षा के इंतजाम भी बढ़ा दिए जाते हैं। ऐसे में बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए प्रशासन ने एक स्मार्ट प्लान तैयार किया — रविवार को स्कूल लगेंगे और सोमवार को छुट्टी रहेगी।
कब से कब तक लागू रहेगा ये नया शेड्यूल?
यह नया नियम 14 जुलाई 2025 से लागू होगा और 11 अगस्त 2025 तक चलेगा। यानी पूरे श्रावण महीने के दौरान ये व्यवस्था लागू रहेगी। इसमें पहली से बारहवीं तक के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल शामिल हैं।
ये भी ध्यान देने वाली बात है कि ये बदलाव सिर्फ उज्जैन जिले में लागू किया गया है। बाकी मध्य प्रदेश में स्कूलों की टाइमिंग और छुट्टियां पहले की तरह ही रहेंगी।
आदेश किसने जारी किया और क्या कहा गया?
इस फैसले को लेकर उज्जैन के कलेक्टर श्री रोशन सिंह ने आधिकारिक आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा कि छात्रों को किसी भी तरह की असुविधा न हो, इसलिए यह निर्णय लिया गया है।
साथ ही स्कूली शिक्षा विभाग ने भी इस फैसले को मंजूरी दे दी है और सभी स्कूलों को इसकी जानकारी भेज दी गई है ताकि समय रहते शिक्षक, विद्यार्थी और अभिभावक सब लोग इसके लिए तैयार रहें।
बच्चों और अभिभावकों को क्या करना चाहिए?
अब जब स्कूल का वीकली शेड्यूल बदल रहा है तो बच्चों और उनके माता-पिता को भी अपनी दिनचर्या में थोड़ा बदलाव करना होगा। जो लोग रविवार को बाहर जाने की प्लानिंग करते थे, उन्हें अब यह ध्यान में रखना होगा कि बच्चे का स्कूल है।
इसी तरह सोमवार को जो लोग सोचते थे कि बच्चों के साथ कहीं घूमने जाना है, अब वो दिन छुट्टी वाला होगा। इस नए शेड्यूल के हिसाब से बच्चों का होमवर्क, ट्यूशन, एक्टिविटी क्लास आदि को भी री-शेड्यूल करना जरूरी होगा।
ये बदलाव क्यों जरूरी था?
हर सोमवार को निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी उज्जैन की पहचान है। ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है और इसे देखने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान भारी भीड़ और ट्रैफिक होता है, जिसकी वजह से बच्चों का स्कूल पहुंचना और लौटना मुश्किल हो सकता है।
साथ ही सुरक्षा के लिहाज से भी बच्चों को सड़कों पर भेजना सही नहीं होता। इसी वजह से प्रशासन ने एक समझदारी भरा कदम उठाते हुए रविवार को स्कूल लगाने और सोमवार को छुट्टी देने का फैसला किया।
क्या बाकी जिलों में भी ऐसा हो सकता है?
फिलहाल यह व्यवस्था सिर्फ उज्जैन के लिए है। लेकिन अगर किसी और जिले में भी ऐसी परिस्थिति बनती है जहां किसी त्योहार, उत्सव या अन्य वजह से ट्रैफिक और भीड़भाड़ होती है, तो वहां भी प्रशासन इस तरह का फैसला ले सकता है। हालांकि इसके लिए स्थानीय प्रशासन की मंजूरी जरूरी होगी।
कुल मिलाकर देखें तो यह फैसला समय की मांग के अनुसार लिया गया है। न सिर्फ यह बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखता है बल्कि शहर की धार्मिक परंपरा को भी सम्मान देता है। उज्जैन जैसे धार्मिक शहर में जहां सवारी निकलती है और रास्ते ब्लॉक होते हैं, वहां इस तरह की एडजस्टमेंट बिल्कुल जरूरी है।
अब अभिभावकों, स्कूलों और छात्रों को इस नए शेड्यूल के हिसाब से खुद को ढालना होगा। अगर सब मिलकर सहयोग करें तो ये एक बढ़िया पहल साबित हो सकती है।