Sunday Holiday Cancelled – अब तक हम सबके लिए रविवार का मतलब था छुट्टी, आराम और परिवार के साथ समय बिताना। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसने इस सालों पुरानी परंपरा को ही बदल दिया है। अब कुछ खास सेक्टर में रविवार को भी दफ्तर खुले रहेंगे और कर्मचारियों को ड्यूटी करनी होगी।
जी हां, ये कोई अफवाह नहीं है बल्कि कोर्ट का सीधा आदेश है। इससे जुड़े कई सवाल और बहसें भी शुरू हो गई हैं – कोई इसे प्रोडक्टिविटी बढ़ाने का तरीका मान रहा है तो कोई इसे कर्मचारियों के निजी जीवन में दखल बता रहा है।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला उन औद्योगिक और कॉर्पोरेट सेक्टर पर लागू किया है, जहां पर अब तक रविवार को साप्ताहिक अवकाश दिया जाता था। कोर्ट का मानना है कि काम में निरंतरता जरूरी है और उत्पादन बढ़ाने के लिए वीकेंड पर भी वर्किंग डे होना चाहिए।
अब नियम कुछ ऐसे हैं:
- रविवार को ऑफिस खुले रहेंगे
- कर्मचारियों को रविवार को काम करना होगा
- बदले में किसी और दिन छुट्टी दी जा सकती है
- अगर कोई कर्मचारी इसका पालन नहीं करता है, तो उस पर कार्रवाई भी हो सकती है
कर्मचारियों की क्या है प्रतिक्रिया?
इस फैसले के सामने आते ही कर्मचारियों में गुस्सा देखने को मिला है। सोशल मीडिया से लेकर ऑफिस कैंपस तक हर जगह लोग इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं।
कर्मचारियों के प्रमुख मुद्दे:
- परिवार के साथ समय नहीं मिल पाएगा: रविवार एक ऐसा दिन होता था जब लोग घरवालों के साथ समय बिताते थे, अब वो छिन जाएगा
- मानसिक तनाव बढ़ेगा: लगातार बिना ब्रेक के काम करने से दिमागी थकावट बढ़ेगी
- सेहत पर असर: शरीर को भी तो आराम चाहिए होता है, वीकेंड न मिलने से हेल्थ पर असर पड़ सकता है
- सामाजिक जीवन पर असर: शादी-ब्याह, मिलना-जुलना सब कुछ आमतौर पर रविवार को होता है, अब वो सब छूट सकता है
- अतिरिक्त वेतन की मांग: लोग कह रहे हैं कि अगर रविवार को काम करवा ही रहे हैं तो एक्स्ट्रा पे और इंसेंटिव भी मिलने चाहिए
कंपनियों के लिए क्या है चुनौती?
देखा जाए तो सिर्फ कर्मचारियों के लिए ही नहीं, कंपनियों के लिए भी ये फैसला लागू करना इतना आसान नहीं है। हर कंपनी को अब नई वर्क पॉलिसी बनानी होगी, कर्मचारियों को समझाना होगा और प्रैक्टिकल लेवल पर चीज़ें मैनेज करनी होंगी।
कंपनियों के लिए संभावित उपाय:
- फ्लेक्सिबल वर्क शेड्यूल देना
- एक्स्ट्रा डे पर एक्स्ट्रा पे देना
- मेंटल हेल्थ काउंसलिंग शुरू करना
- छुट्टियों का नया सिस्टम लागू करना
- बोनस या हॉलिडे इनसेंटिव देना
वेतन और वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर मांग
अब जब रविवार को भी काम करना है, तो सबसे बड़ी मांग यही है कि कंपनियां कर्मचारियों को इसके बदले कुछ दें – जैसे एक्स्ट्रा वेतन, बोनस, या फिर किसी और दिन छुट्टी।
कुछ कंपनियों की संभावित रिएक्शन:
- कंपनी A: 10% ज्यादा वेतन + साल में एक बार बोनस
- कंपनी B: 5% वेतन बढ़ोतरी + एक एक्स्ट्रा छुट्टी
- कंपनी C: हेल्थ इंश्योरेंस + लचीला शेड्यूल
- कंपनी D: वीकली बोनस या ऑफर बेस्ड छुट्टियाँ
यानि कंपनियों को कर्मचारियों को खुश रखने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा।
क्या सभी जगह ये लागू होगा?
नहीं, फिलहाल ये नियम सिर्फ उन इंडस्ट्रीज पर लागू हुआ है जहां रविवार को परंपरागत छुट्टी मिलती थी – जैसे आईटी, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस सेक्टर, रिटेल वगैरह। सरकारी विभागों या स्कूल-कॉलेज पर अभी कोई सीधा असर नहीं दिखा है।
क्या कोर्ट के इस फैसले को बदला जा सकता है?
कानूनन इस फैसले को चुनौती देना आसान नहीं होगा। लेकिन कंपनियां और यूनियन मिलकर सरकार के सामने बातचीत का रास्ता चुन सकती हैं। कर्मचारी संगठनों की ओर से मांग की जा रही है कि इस फैसले पर दोबारा विचार किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला एक बड़ा बदलाव है। जहां एक तरफ इससे प्रोडक्टिविटी बढ़ सकती है, वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों का निजी जीवन और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है।
सरकार और कंपनियों को इस बदलाव को संतुलित तरीके से लागू करना होगा, ताकि कामकाज और इंसानियत – दोनों साथ चल सकें।