Low Rank MBBS College Admission – NEET का रिजल्ट आते ही बहुत सारे छात्रों के चेहरे खिल जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जिनकी रैंक उम्मीद से काफी नीचे रहती है। अगर आपकी भी रैंक कुछ खास नहीं आई है, तो बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है। भारत में आज भी कई ऐसे रास्ते हैं, जिनसे MBBS में एडमिशन लिया जा सकता है – बस जरूरत है थोड़ी जानकारी और सही फैसले की। तो चलिए जान लेते हैं उन 10 उपायों के बारे में जो कम रैंक वालों के लिए काफी फायदेमंद हो सकते हैं।
1. AIQ की जगह State Quota को प्राथमिकता दें
NEET में All India Quota यानी AIQ के मुकाबले State Quota में कटऑफ थोड़ा कम होता है। अगर आपके पास अपने राज्य का डोमिसाइल है, तो आप 85% सीटों वाले State Quota में आवेदन कर सकते हैं। कई बार यही सीटें आपकी MBBS की कुंजी बन जाती हैं।
2. नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में मौका तलाशें
अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम और नागालैंड जैसे राज्य कम छात्रों का ध्यान आकर्षित करते हैं। यहां की MBBS सीटें कई बार खाली रह जाती हैं। ऐसे में अगर आपकी रैंक कम है तो यहां पर ऑल इंडिया ओपन सीटों के जरिए एडमिशन का मौका मिल सकता है।
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3. डिम्ड यूनिवर्सिटी से करें एडमिशन की बात
अगर आप थोड़ा ज्यादा खर्च करने की स्थिति में हैं, तो डिम्ड यूनिवर्सिटी आपके लिए सही चॉइस हो सकती हैं। SRM, Manipal, DY Patil जैसी यूनिवर्सिटीज NEET स्कोर पर एडमिशन देती हैं, लेकिन इनकी कटऑफ थोड़ी कम रहती है।
4. मैनेजमेंट कोटा है एक ऑप्शन
बहुत सारे प्राइवेट मेडिकल कॉलेज मैनेजमेंट कोटा के जरिए भी एडमिशन देते हैं। इसमें कटऑफ काफी कम होती है, बस फीस ज्यादा होती है। अगर आपका बजट ठीक-ठाक है, तो ये एक सीधा रास्ता हो सकता है MBBS तक पहुंचने का।
5. NRI कोटा भी है एक रास्ता
अगर आपके परिवार में कोई NRI है या आप NRI कोटे के लिए एलिजिबल हैं, तो कई कॉलेजों में इस कोटे के जरिए भी दाखिला लिया जा सकता है। इसमें भी कम रैंक वालों को एडवांटेज मिल सकता है, हालांकि इसकी फीस काफी ज्यादा होती है।
6. एक साल का गैप लेकर NEET Reattempt करें
अगर कोई भी रास्ता आपके लिए नहीं खुल रहा, तो एक साल का गैप लेकर दोबारा तैयारी करें। बहुत सारे छात्र दूसरी बार में 600 या उससे ज्यादा स्कोर कर लेते हैं और अच्छे कॉलेज में एडमिशन पा जाते हैं। इस बार की गलतियों से सीखें और फिर से मेहनत करें।
7. काउंसलिंग के Mop-Up राउंड को न छोड़ें
कई बार छात्र काउंसलिंग के पहले राउंड के बाद हार मान लेते हैं। लेकिन आखिरी राउंड यानी Mop-Up राउंड में कई सीटें खाली रह जाती हैं और कटऑफ भी गिरती है। इसलिए काउंसलिंग के पूरे प्रोसेस में अंत तक जुड़े रहना जरूरी है।
8. BAMS, BHMS जैसे विकल्पों पर भी विचार करें
अगर MBBS नहीं मिल पा रहा, तो BAMS (आयुर्वेद), BHMS (होम्योपैथी), BUMS या BPT जैसे कोर्स भी अच्छे करियर विकल्प हो सकते हैं। इनमें भी मेडिकल फील्ड की अच्छी पढ़ाई होती है और आगे चलकर इसमें भी आप स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।
9. किसी अच्छे एजुकेशनल कंसल्टेंट से लें मदद
अगर काउंसलिंग प्रोसेस बहुत जटिल लग रहा है, तो आप किसी भरोसेमंद एजुकेशन कंसल्टेंट की मदद ले सकते हैं। ये लोग आपके रैंक के हिसाब से सही कॉलेज खोजने में मदद करते हैं और जरूरी दस्तावेज या प्रक्रिया में भी आपका साथ देते हैं।
10. नेपाल या बांग्लादेश के मेडिकल कॉलेज भी एक विकल्प
बहुत सारे छात्र नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों में भी MBBS की पढ़ाई करते हैं। वहां NEET स्कोर की जरूरत तो होती है, लेकिन कटऑफ बहुत कम होता है। MCI से मान्यता प्राप्त कॉलेज में पढ़ने के बाद आप भारत लौटकर FMGE पास करके डॉक्टर की प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं।
कम रैंक का मतलब ये नहीं कि MBBS का सपना टूट गया। आपको बस थोड़ा होशियारी से काम लेना है और सही विकल्प चुनना है। हर रास्ता बंद नहीं होता – कुछ दरवाजे धीमे खुलते हैं, लेकिन खुलते जरूर हैं। ऊपर बताए गए 10 विकल्पों पर ध्यान दें, अपनी स्थिति का आकलन करें और धैर्य से सही फैसला लें।
MBBS एक सपना है, लेकिन ये सपना सही प्लानिंग और सही निर्णय से पूरा हो सकता है। बस खुद पर भरोसा रखिए और आगे बढ़ते रहिए।