Indian Railway Update – अगर आप भी ट्रेन से सफर करते हैं और कई बार सिर्फ इसलिए रह जाते हैं क्योंकि टिकट वेटिंग में रह गया था, तो अब खुश हो जाइए। भारतीय रेलवे ने एक नया नियम लागू किया है, जिससे वेटिंग टिकट वालों को भी सफर की मंजूरी मिल गई है – लेकिन एक शर्त के साथ।
अब वेटिंग में भी सफर करना होगा वैध
रेलवे ने साफ कर दिया है कि अगर किसी पीएनआर (PNR) पर कम से कम एक यात्री की टिकट कन्फर्म है, और बाकी सभी यात्रियों की टिकट वेटिंग में हैं, तो अब सभी लोग उस टिकट के आधार पर वैध रूप से यात्रा कर सकते हैं। यानी टीटीई अब इन यात्रियों को बेटिकट नहीं मान सकता और न ही कोई जुर्माना वसूला जाएगा।
एक पीएनआर पर कितने लोग सफर कर सकते हैं?
एक पीएनआर पर अधिकतम 6 यात्री जोड़ सकते हैं। अगर उनमें से किसी एक यात्री की टिकट कन्फर्म है, तो बाकी सभी 5 लोग भी सफर कर सकते हैं – भले ही उनकी टिकट वेटिंग में हो। लेकिन ये सुविधा केवल 25 प्रतिशत सीटों तक ही सीमित होगी, यानी हर कोच की कुल बर्थ के मुकाबले वेटिंग टिकट वालों की संख्या पर भी रोक लगाई गई है।
कितने लोगों को मिलेगी वेटिंग की अनुमति?
रेलवे के इस नए नियम के मुताबिक, जैसे कि अगर स्लीपर क्लास के एक कोच में 72 बर्थ हैं, तो उसमें केवल 18 वेटिंग टिकट वाले यात्री ही यात्रा कर सकते हैं। ये वेटिंग टिकट सिर्फ सामान्य कोटे पर लागू होंगे, यानी महिलाओं, बुजुर्गों, दिव्यांग और विदेशी यात्रियों के लिए जो सीटें आरक्षित होती हैं, वे इस गिनती से बाहर रहेंगी।
टिकट विंडो और ऑनलाइन दोनों पर नियम लागू
यह सुविधा सिर्फ ऑनलाइन टिकट बुकिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि विंडो से बुक किए गए टिकटों पर भी लागू होगी। यानी चाहे आप रेलवे काउंटर से टिकट लें या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से, अगर आपके पीएनआर पर एक सीट कन्फर्म है तो बाकी सभी यात्री सफर कर सकते हैं।
क्या टीटीई सीट दिला सकता है?
वेटिंग टिकट पर यात्रा कर रहे यात्रियों को अगर कोच में कोई खाली सीट मिलती है, तो वे टीटीई से अनुरोध करके वह सीट ले सकते हैं। हालांकि यह टीटीई के विवेक और सीट की उपलब्धता पर निर्भर करेगा।
क्यों लागू हुआ ये नियम?
भारतीय रेलवे ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि:
- रिजर्वेशन कोच में भीड़ कम हो
- प्लेटफॉर्म पर बिना टिकट चढ़ने वालों की संख्या घटे
- कन्फर्म टिकट वालों को बेहतर यात्रा अनुभव मिल सके
- वेटिंग टिकट धारकों को राहत मिले
रेलवे का मानना है कि एक पीएनआर पर अगर एक यात्री कन्फर्म है, तो बाकी यात्रियों को जबरदस्ती बाहर करना एक तरह से परेशानी भरा होता है। अब इस नियम से यात्रियों की यात्रा अधिक सुविधाजनक हो सकेगी।
रिग्रेट टिकट की स्थिति भी बढ़ी
इस नियम के लागू होने से एक नया ट्रेंड भी देखने को मिल रहा है – अब कई ट्रेनों में रिग्रेट स्टेटस यानी टिकट ही न मिलने की स्थिति बनने लगी है। इसकी वजह ये है कि वेटिंग टिकट की संख्या को सीमित कर दिया गया है, जिससे कई लोगों को टिकट ही नहीं मिल पा रही है।
क्या है पीएनआर और इसका महत्व?
पीएनआर (Passenger Name Record) एक 10 अंकों का नंबर होता है, जो रेलवे टिकट बुक करते वक्त जनरेट होता है। इसके जरिए पता चलता है कि किस यात्री की टिकट कन्फर्म है, किसकी वेटिंग में है, और सीट नंबर क्या है। इस पीएनआर के जरिए ही अब रेलवे यह तय कर रहा है कि कितने यात्री यात्रा के पात्र होंगे।
उत्तर मध्य रेलवे का स्पष्टीकरण
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर पीएनआर पर सिर्फ एक सीट भी कन्फर्म है, तो बाकी वेटिंग में चल रहे यात्री भी उस टिकट के तहत यात्रा कर सकते हैं। यह नियम सभी ट्रेनों और सभी क्लास पर लागू है, लेकिन सीट उपलब्धता और कोच की सीमा को ध्यान में रखकर ही लागू किया गया है।
यात्रियों के लिए जरूरी सलाह
- अगर आपकी टिकट वेटिंग में है, तो पीएनआर पर कन्फर्म सीट देखना न भूलें
- कोच में चढ़ने से पहले यह जरूर जांच लें कि आपकी यात्रा वैध है या नहीं
- टीटीई से सीट को लेकर विनम्रता से बात करें, अगर कोई सीट खाली हो तो वह आपको दे सकता है
- भीड़ वाले दिनों में पहले ही टिकट बुक कराएं, ताकि कन्फर्म टिकट मिल सके
रेलवे का यह नया नियम उन लाखों यात्रियों के लिए एक राहत की खबर है जो हर बार टिकट वेटिंग में रह जाने से सफर नहीं कर पाते थे। अब सिर्फ एक कन्फर्म टिकट से भी पूरी फैमिली आराम से सफर कर सकती है। हालांकि वेटिंग लिमिट तय कर दी गई है, लेकिन इसका मकसद ट्रेनों में भीड़ को नियंत्रित करना और यात्रियों को एक बेहतर अनुभव देना है।
अब अगली बार जब टिकट बुक करें, तो पीएनआर की जानकारी जरूर पढ़ें, और अपने साथ सफर करने वाले सभी लोगों की स्थिति को ध्यान से देखें। यात्रा सुरक्षित और आसान हो – यही रेलवे का लक्ष्य है।