Fastag Annual Pass – अगर आप बाइक चलाते हैं और अक्सर हाईवे पर सफर करते हैं तो अब यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी हो गई है। अब तक जो सुविधा सिर्फ कार और भारी वाहनों पर टोल टैक्स की थी, वो अब आपकी बाइक पर भी लागू कर दी गई है। सरकार ने एक नई पॉलिसी लागू की है जिसके तहत बाइक चालकों को भी सालाना ₹1800 टोल टैक्स देना होगा।
अब ये फैसला सुनकर ज्यादातर बाइकर्स नाराज हैं। सोशल मीडिया से लेकर बाइकिंग ग्रुप तक हर जगह इसी बात की चर्चा है। चलिए आपको बताते हैं कि ये नियम क्या है, इसका असर किस पर पड़ेगा और लोग इसके बारे में क्या सोच रहे हैं।
क्या है नया नियम?
सरकार ने अब बाइक चालकों के लिए भी टोल टैक्स को अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत बाइकर्स को सालाना ₹1800 एकमुश्त जमा करना होगा, जिससे वे देशभर के टोल रास्तों पर बिना बार-बार रुकावट के सफर कर सकें।
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पहले बाइक सवारों को टोल टैक्स से पूरी छूट थी लेकिन अब वह छूट खत्म कर दी गई है। खास बात ये है कि जो FASTag पास पहले बाइक वालों के लिए ऑप्शनल था, अब उसकी जगह यह अनिवार्य टोल टैक्स आ गया है। यानी अब चाहे आप रोज हाईवे पर जाएं या साल में एक बार, टैक्स तो देना ही पड़ेगा।
क्यों भड़के हैं बाइकर्स?
बाइक एक आम आदमी की सवारी है। खासकर ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में लोग बाइक का इस्तेमाल स्कूल-कॉलेज, नौकरी या रोजमर्रा के कामों के लिए करते हैं। ऐसे में उन्हें भी टोल टैक्स देना पड़ेगा तो ये कई लोगों के लिए जेब पर भारी पड़ेगा।
लोगों की कुछ प्रमुख शिकायतें:
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- बाइक से लोग ज्यादातर छोटे रूट पर सफर करते हैं, फिर भी सालाना पूरा टैक्स क्यों?
- जिनकी बाइक ही 50 हजार से कम की है, उनके लिए 1800 रुपये काफी ज्यादा हैं
- रोजमर्रा के लिए बाइक का इस्तेमाल करने वालों को अब एक्स्ट्रा खर्च उठाना होगा
- टोल पर बाइक के लिए अलग से लाइन लगानी पड़ेगी, जिससे भीड़ और बढ़ेगी
क्या मिल रही है कोई सुविधा बदले में?
सरकार ने कहा है कि ये फैसला ट्रैफिक कंट्रोल, सड़क मरम्मत और सफर को बेहतर बनाने के लिए लिया गया है। साथ ही कुछ नई सुविधाओं का वादा भी किया गया है:
- बाइकर्स को किस्तों में टोल टैक्स भरने का विकल्प मिलेगा
- डिजिटल प्लेटफॉर्म से आसान भुगतान की सुविधा
- भविष्य में बाइकर्स के लिए अलग लेन और स्मार्ट पास लाने की योजना
हालांकि अभी ये सब सिर्फ योजनाओं में है, इनका लागू होना अभी बाकी है।
लोग कैसे कर रहे हैं इसका सामना?
जिन लोगों पर ये नियम सीधा असर डाल रहा है, उन्होंने अपनी तरफ से कई उपाय ढूंढ लिए हैं:
- कुछ लोग अब ग्रुप में बाइक राइड कर रहे हैं ताकि टोल और पेट्रोल का खर्च बांट सकें
- कुछ बाइकर्स ऐसे रूट चुन रहे हैं जहां टोल रोड न हो
- डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि आसानी से पेमेंट हो जाए
- कई लोग सरकार से टैक्स हटाने या कम करने की मांग कर रहे हैं
कुछ बाइकर्स ने तो ऑनलाइन याचिकाएं भी दायर कर दी हैं। खासकर डिलीवरी ब्वॉय और वो लोग जिनका काम बाइक से चलता है, उनके लिए ये टैक्स और भी भारी लग रहा है।
सरकार की तरफ से क्या कहा गया?
सरकार का कहना है कि टोल सिस्टम को पारदर्शी और एक जैसा बनाना जरूरी था। इसलिए अब सभी वाहनों को कुछ न कुछ टैक्स देना होगा। साथ ही ये भी कहा गया कि एकमुश्त पैसे देने में दिक्कत न हो, इसलिए किस्तों की सुविधा दी जा रही है।
डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि टोल पर कैश की दिक्कत न हो और स्मार्ट लेन सिस्टम से भीड़ को भी कंट्रोल किया जा सके।
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अगर ज्यादा विरोध हुआ या व्यवहारिक परेशानी सामने आई तो सरकार पॉलिसी की समीक्षा कर सकती है।
आगे क्या होगा?
फिलहाल तो ये नियम लागू कर दिया गया है और सरकार इसे धीरे-धीरे पूरे देश में लागू करने की योजना बना रही है। लेकिन कुछ बड़ी चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं:
- छोटे शहरों और गांवों में डिजिटल सुविधा और जानकारी की कमी
- टोल प्लाज़ा पर पहले से ही भीड़, बाइकर्स की लाइन से और परेशानी
- अलग-अलग राज्यों में अलग टोल नीतियां होने से कन्फ्यूजन
अगर सरकार चाहती है कि बाइकर्स इस फैसले को स्वीकार करें, तो उन्हें कुछ एक्स्ट्रा सुविधाएं भी देनी होंगी – जैसे सेफ बाइक पार्किंग, हेलमेट पर सब्सिडी या टोल छूट वाले दिनों की घोषणा।
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नई पॉलिसी को लेकर लोगों की राय बंटी हुई है। कुछ लोग इसे व्यवस्था सुधारने वाला कदम मानते हैं तो कुछ इसे आम आदमी पर बोझ। लेकिन सच्चाई यही है कि बाइक सवार अब भी इस नियम से खुश नहीं हैं।
सरकार को चाहिए कि वह इस फैसले पर फिर से विचार करे और आम लोगों की परेशानियों को भी समझे। टैक्स वसूलना ठीक है लेकिन उसके बदले कुछ सुविधाएं भी मिलनी चाहिए, तभी यह फैसला सफल हो पाएगा।
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