क्या बेटी की मर्जी के बिना बिक सकती है पैतृक जमीन, जानिए क्या कहता है कानून Daughters Rights In Ancestral Property

By Prerna Gupta

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Daughters Rights In Ancestral Property

Daughters Rights In Ancestral Property – भारत में संपत्ति से जुड़े मामलों में अक्सर सवाल उठते हैं – खासकर तब जब परिवार के बीच पैतृक जमीन या जायदाद का बंटवारा हो। सबसे बड़ा कंफ्यूजन ये होता है कि क्या पिता को पूरा हक होता है कि वो पैतृक जमीन को बेच दें, वो भी बिना बेटी की इजाजत के? बहुत से लोगों को लगता है कि बेटा ही असली वारिस होता है और बेटी का कोई हक नहीं होता, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल घूम रहे हैं तो इस आर्टिकल में आपको हर बात बिल्कुल साफ और आसान अंदाज में समझाई जाएगी – बेटी का हक, कानून क्या कहता है, और अगर कोई गलत तरीके से जमीन बेच देता है तो उसके खिलाफ क्या किया जा सकता है।

पैतृक संपत्ति होती क्या है?

पहले ये समझिए कि पैतृक संपत्ति आखिर होती क्या है।

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अगर आपके दादा ने कोई जमीन या मकान अपने बेटे (यानि आपके पिता) को बिना वसीयत दिए छोड़ दिया है और वो संपत्ति अब भी बंटी नहीं है, तो उसे पैतृक संपत्ति माना जाता है। इस पर परिवार की अगली पीढ़ी का जन्म से ही अधिकार होता है – मतलब बेटा और बेटी दोनों बराबर के हकदार होते हैं।

2005 का कानून बना बेटियों के लिए गेमचेंजर

साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में एक बड़ा बदलाव हुआ, जिसने बेटियों को भी वही हक दिया जो बेटों को पहले से मिलते आ रहे थे।

  • अब बेटी को भी पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलता है
  • उसे भी ‘कॉपार्सनर’ माना जाता है, यानी वह सह-स्वामी होती है
  • अब पिता बिना उसकी इजाज़त के पैतृक जमीन नहीं बेच सकते

ध्यान रखें, ये नियम हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन धर्म के लोगों पर लागू होते हैं।

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क्या पिता अकेले जमीन बेच सकते हैं?

सीधा जवाब है – नहीं, अगर वो जमीन पैतृक है।

अगर बेटी जीवित है और बालिग है, तो उसके हिस्से वाली जमीन को बिना उसकी सहमति के बेचना कानूनी रूप से गलत होगा। और अगर ऐसा किया गया है, तो उस पर कानूनी ऐक्शन लिया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कहा – बेटी का बराबर हक है

2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर बहुत ही अहम फैसला दिया था। कोर्ट ने कहा था कि:

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  • बेटियों को जन्म से ही पैतृक संपत्ति में हक है
  • चाहे पिता जीवित हों या न हों, हक में कोई फर्क नहीं पड़ता
  • अगर बिना सहमति के संपत्ति बेची जाती है, तो बेटी उसे कोर्ट में चुनौती दे सकती है

स्व-अर्जित और पैतृक संपत्ति में फर्क जानिए

अब एक और जरूरी बात – हर संपत्ति पैतृक नहीं होती।

  • स्व-अर्जित संपत्ति वो होती है जो किसी ने खुद की कमाई या मेहनत से खरीदी हो। इस पर मालिक की मर्जी चलती है। चाहे वो बेटे को दे या बेटी को, या किसी को भी ना दे।
  • पैतृक संपत्ति में बच्चे, यानी बेटा-बेटी दोनों, जन्म से ही हिस्सेदार होते हैं। इसमें मालिक की इच्छा से ज़्यादा कानून चलता है।

बेटी क्या कर सकती है अगर संपत्ति बिना इजाज़त बेची गई हो?

अगर पिता ने बेटी की जानकारी या इजाज़त के बिना पैतृक संपत्ति बेच दी हो, तो बेटी के पास ये विकल्प होते हैं:

  • सिविल कोर्ट में केस दायर कर सकती है
  • स्टे ऑर्डर ले सकती है ताकि संपत्ति का ट्रांसफर रुके
  • बिक्री को चुनौती दे सकती है और संपत्ति वापस पाने का दावा कर सकती है
  • मुआवजा भी मांग सकती है, अगर संपत्ति बेचना अवॉयडेबल ना हो

कोर्ट में केस करने के लिए चाहिए ये दस्तावेज़

अगर बेटी कोर्ट जाना चाहती है, तो उसे ये कागज़ जरूर जुटा लेने चाहिए:

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  • संपत्ति के कागजात
  • परिवार की वंशावली या Family Tree
  • अपना जन्म प्रमाण पत्र और पहचान पत्र
  • बेची गई जमीन की रजिस्ट्री की कॉपी
  • और एक अच्छा वकील जो संपत्ति मामलों में अनुभवी हो

शादी के बाद बेटी का हक खत्म हो जाता है?

बिलकुल नहीं। ये बहुत बड़ी गलतफहमी है।

चाहे बेटी की शादी हो गई हो या नहीं, उसका पैतृक संपत्ति पर पूरा हक है। उसे सिर्फ इसलिए हक से वंचित नहीं किया जा सकता कि वो अब किसी और के घर चली गई है।

कुछ जरूरी बातें जो हर बेटी को पता होनी चाहिए

  • बेटी को भी उतना ही हिस्सा मिलता है जितना बेटे को
  • शादीशुदा हो या अविवाहित – हक में कोई फर्क नहीं पड़ता
  • अगर जबरदस्ती संपत्ति बेची गई है, तो उसे रोका या पलटा जा सकता है
  • संपत्ति बेचने से पहले बेटी की सहमति लेना जरूरी है
  • कोर्ट का सहारा लेने में देर न करें, वरना दावे कमजोर हो सकते हैं

अब समय है कि बेटियां अपने हक को समझें और जब ज़रूरत हो, तो बिना झिझक कानूनी रास्ता अपनाएं। पैतृक संपत्ति सिर्फ बेटों की नहीं होती, बल्कि बेटियों की भी होती है – और अब कानून भी इसी के पक्ष में खड़ा है।

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पिता अगर पैतृक जमीन बेचना चाहते हैं, तो सभी उत्तराधिकारियों की सहमति ज़रूरी है। ये सिर्फ कानूनी बात नहीं, बल्कि परिवार में विश्वास और सम्मान बनाए रखने का तरीका भी है।

तो अब अगर कोई कहे कि बेटी का कोई हक नहीं होता – तो उसे कानून की ये सच्चाई ज़रूर बताइए।

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