Contract Employees Good News – उत्तर प्रदेश में आउटसोर्स के तहत काम करने वाले करीब 9 लाख कर्मचारियों के लिए अब उम्मीद की एक नई किरण नजर आने लगी है। लंबे समय से मानदेय और स्थायी नौकरी की मांग कर रहे इन कर्मचारियों को जल्द राहत मिल सकती है। योगी सरकार ने कुछ महीने पहले “आउटसोर्स सेवा निगम” बनाने की बात कही थी, लेकिन अब तक इसका गठन नहीं हो पाया है। फिर भी तैयारियां ज़ोरों पर हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
क्या है पूरा मामला?
यूपी में आउटसोर्सिंग के जरिए स्वास्थ्य, शिक्षा, नगर निगम जैसे तमाम विभागों में लाखों कर्मचारी काम कर रहे हैं। ये लोग पिछले कई सालों से स्थायी भर्ती की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगभग चार महीने पहले ‘आउटसोर्स सेवा निगम’ बनाने का ऐलान किया था, जिससे इन कर्मचारियों को एक निश्चित व्यवस्था के तहत रखा जा सके। लेकिन अभी तक इस पर अमल नहीं हुआ है, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी है।
कर्मचारी क्यों हैं नाराज़?
आउटसोर्स कर्मचारी काफी समय से सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनका मानदेय बढ़ाया जाए और काम की स्थायीत्व मिले। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ की तरफ से मुख्यमंत्री को इस बारे में पत्र भी भेजा गया है। उनका कहना है कि वे पिछले पांच सालों से ज्यादा समय से लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी अस्थायी रूप से एजेंसियों के जरिए तैनात हैं।
कर्मचारियों की मांग है कि जैसे अन्य राज्यों ने अपने आउटसोर्स कर्मचारियों को सरकारी सेवाओं में समायोजित किया है, वैसा ही यूपी में भी किया जाए। उनका कहना है कि 2005 से पहले के संविदा कर्मियों को तो समायोजन मिल चुका है, अब 2005 के बाद से काम कर रहे कर्मचारियों को भी स्थायी किया जाना चाहिए।
क्या है सरकार की तैयारी?
सूत्रों के मुताबिक, ‘आउटसोर्स सेवा निगम’ का पूरा ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। इसे अब मुख्यमंत्री के पास भेजा गया है और उनकी मंजूरी के बाद कैबिनेट में इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो राज्य के लाखों कर्मचारियों को सीधा लाभ मिल सकता है।
हालांकि, कर्मचारियों को यह चिंता भी है कि सरकार केवल एजेंसियों को ही निगम में शामिल करने की योजना बना रही है, जिससे कर्मचारियों को ज़्यादा फायदा नहीं होगा। वे चाहते हैं कि वेतन सीधे निगम के माध्यम से दिया जाए, न कि किसी तीसरी पार्टी के जरिए।
कितना मिलेगा वेतन?
अभी जो जानकारी सामने आ रही है, उसके अनुसार नए निगम के तहत न्यूनतम वेतन ₹18,000 और अधिकतम ₹25,000 तय किया जा सकता है। ये वेतन श्रेणी के अनुसार अलग-अलग होगा। लेकिन समस्या यह है कि वेतन अभी भी एजेंसी के जरिए देने की बात चल रही है। कर्मचारियों की मांग है कि यह वेतन सीधे उनके खाते में निगम द्वारा भेजा जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसी तरह की कटौती या देरी ना हो।
कर्मचारियों की मुख्य मांगें क्या हैं?
आउटसोर्स कर्मचारी जिन प्रमुख बातों की मांग कर रहे हैं, उनमें शामिल हैं:
- वेतन बढ़ाया जाए और सीधे निगम से दिया जाए, एजेंसी को हटाया जाए
- आउटसोर्स सेवा निगम का गठन तुरंत किया जाए
- जो कर्मचारी कई वर्षों से सेवा दे रहे हैं उन्हें विभागों में रिक्त पदों पर समायोजित किया जाए
- 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को भी स्थायीत्व दिया जाए
- निगम के नियमों में ऐसा बदलाव हो जिससे कर्मचारियों को वास्तविक फायदा हो
कर्मचारियों को क्या मिल सकता है लाभ?
अगर सरकार समय पर निर्णय लेती है और कर्मचारियों की मांगों को मान लेती है, तो इससे लाखों परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। जो कर्मचारी अब तक कम वेतन में और बिना स्थायीत्व के काम कर रहे थे, उन्हें बेहतर वेतन, सुविधाएं और भविष्य की सुरक्षा मिल सकती है।
इससे कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़ेगा और वे और बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे। साथ ही सरकार को भी प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही मिलेगी।
अब आगे क्या?
सरकार की तरफ से अब निगाहें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंजूरी पर टिकी हैं। जैसे ही वह ‘आउटसोर्स सेवा निगम’ के ड्राफ्ट पर सहमति देते हैं, इसे कैबिनेट में पास कराया जाएगा। इसके बाद सारी प्रक्रिया शुरू होगी और कर्मचारियों के लिए नए नियम और वेतन संरचना लागू की जाएगी।
यूपी के आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए ये वक्त काफी अहम है। अगर सरकार सही दिशा में कदम उठाती है और उनकी मांगों पर विचार करती है, तो ये एक बड़ा बदलाव हो सकता है। कर्मचारियों को भी चाहिए कि वे एकजुट होकर अपनी बात शांतिपूर्वक तरीके से सरकार तक पहुंचाएं ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।