Contract Employee Salary Hike – यूपी के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए ये खबर किसी बड़ी राहत से कम नहीं है। अगर आप भी किसी सरकारी दफ्तर, बोर्ड, निगम या विभाग में आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रहे हैं, तो अब आपका न्यूनतम वेतन ₹18,000 तय किया गया है। यानी अब आपको पहले से ज्यादा मेहनताना मिलेगा और जीवन जीना भी थोड़ा आसान होगा।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लिया है, जिसके तहत राज्य में आउटसोर्सिंग एजेंसियों के ज़रिए काम कर रहे लाखों कर्मचारियों को अब हर महीने कम से कम ₹18,000 सैलरी मिलेगी। यह फैसला इसलिए खास है क्योंकि अब तक इन कर्मचारियों को ₹8,000 से ₹10,000 के बीच की ही तनख्वाह मिलती थी। इससे न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ता था, बल्कि नौकरी के प्रति उनका भरोसा भी डगमगाता रहता था।
लेकिन अब योगी सरकार ने ये तय कर दिया है कि 1 जुलाई 2025 से राज्य में किसी भी विभाग, कार्यालय, निगम या बोर्ड में आउटसोर्स के तहत काम कर रहे किसी भी कर्मचारी को ₹18,000 से कम वेतन नहीं दिया जाएगा।
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कौन-कौन से कर्मचारी होंगे इस फैसले से प्रभावित?
इस योजना का लाभ उन्हें मिलेगा जो किसी सरकारी विभाग में स्थायी तौर पर तो नहीं, लेकिन ठेके (contract) या आउटसोर्सिंग के जरिए काम कर रहे हैं। इनमें शामिल हैं:
- सफाई कर्मचारी (क्लीनर)
- सुरक्षा गार्ड
- कंप्यूटर ऑपरेटर
- डाटा एंट्री कर्मचारी
- हेल्पर
- क्लर्क
- चपरासी
- इलेक्ट्रीशियन या तकनीकी सहायक आदि
अभी तक इन्हें बेहद कम वेतन पर काम कराना एक आम बात थी, लेकिन अब सरकार ने यह तय कर दिया है कि सभी को एक न्यूनतम वेतन स्तर देना जरूरी होगा।
कितने कर्मचारियों को मिलेगा फायदा?
सरकारी आंकड़ों की मानें तो उत्तर प्रदेश में करीब 3.5 लाख से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी अलग-अलग सरकारी विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब इन सभी को इस योजना का सीधा फायदा मिलेगा।
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एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, कई बार देखा गया है कि ये कर्मचारी काफी मेहनत करते हैं, लेकिन उन्हें उतना वेतन नहीं मिल पाता जितना मिलना चाहिए। इसलिए योगी सरकार ने यह कदम उठाया ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार हो और उनका काम के प्रति भरोसा और समर्पण भी बढ़े।
समान कार्य के लिए समान वेतन की दिशा में कदम
सरकार का यह फैसला ‘Equal Pay for Equal Work’ के सिद्धांत की ओर एक बड़ा कदम है। अब स्थायी कर्मचारियों और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के बीच जो वेतन का बड़ा फर्क होता था, वह थोड़ा कम होने की ओर बढ़ेगा।
योजना के तहत सरकार ने यह भी साफ किया है कि किसी भी विभाग या एजेंसी को ये सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारियों को उनका वेतन समय पर और पूरा मिले। अगर कोई विभाग या एजेंसी सैलरी देने में देरी या कटौती करता है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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अब तक क्या हो रहा था?
अब तक इन कर्मचारियों को ठेके की एजेंसियां नियुक्त करती थीं और उन्हीं के जरिए वेतन भी मिलता था। कई बार एजेंसी अपने लाभ के लिए वेतन में कटौती कर लेती थी या महीनों की देरी से वेतन देती थी। इससे कर्मचारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब सरकार सीधे मानक तय कर रही है और भुगतान व्यवस्था पर नजर भी रखेगी।
क्या है भविष्य की योजना?
राज्य सरकार के इस फैसले के बाद अब आगे चलकर यह भी उम्मीद की जा रही है कि इन कर्मचारियों के लिए EPF, ESI और अन्य सुविधाएं भी अनिवार्य की जाएंगी। यानी न सिर्फ वेतन, बल्कि भविष्य की सुरक्षा भी पक्की होगी।
सरकार का यह कदम उन हजारों कर्मचारियों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, जो सालों से कम तनख्वाह पर मेहनत कर रहे थे। ₹18,000 की सैलरी न सिर्फ उनका मनोबल बढ़ाएगी, बल्कि इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। सबसे अच्छी बात यह है कि अब भुगतान का तरीका भी पारदर्शी होगा और किसी भी तरह की देरी या कटौती पर सख्त कार्रवाई होगी।
तो अगर आप या आपके जानने वाले कोई भी व्यक्ति यूपी में आउटसोर्सिंग कर्मचारी है, तो ये खबर उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। जुलाई से नया वेतन लागू होगा, इसलिए तैयार रहिए – अब मेहनत का फल थोड़ा और मीठा होने वाला है।
