Commuted Pension Rule – अगर आप केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं या रिटायरमेंट के करीब हैं, तो पेंशन को लेकर आपके मन में भी कई सवाल होंगे। खासतौर पर Commuted Pension यानी एकमुश्त पेंशन को लेकर जो नए नियम सामने आ रहे हैं, उन्होंने कई रिटायर्ड कर्मचारियों को सोच में डाल दिया है। चलिए इस पूरे मामले को आसान और सीधी भाषा में समझते हैं।
सबसे पहले जानिए – क्या होती है Commuted Pension?
सरकारी नौकरी से रिटायर होते समय कर्मचारी को एक विकल्प दिया जाता है कि वो अपनी कुल पेंशन का कुछ हिस्सा (ज्यादातर 40%) एक साथ एकमुश्त ले सकता है। इसे ही Commuted Pension कहते हैं।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए किसी कर्मचारी की मासिक पेंशन 25 हजार रुपये है। अब अगर वह 40 फीसदी यानी 10 हजार रुपये प्रति महीने के हिसाब से 15 साल की रकम एकमुश्त ले लेता है, तो अगले 15 साल तक उसे सिर्फ 15 हजार रुपये मासिक पेंशन मिलती है। 15 साल पूरे होने के बाद उसे फिर से पूरी पेंशन मिलने लगती है।
क्यों उठ रहा है बदलाव का मुद्दा?
पेंशनर्स की लंबे समय से मांग रही है कि 15 साल का इंतजार बहुत लंबा है, इसलिए सरकार इस अवधि को घटाकर 10 या 12 साल कर दे। अब खबरें आ रही हैं कि केंद्र सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
अगर यह मांग मान ली जाती है तो रिटायर्ड लोगों को जल्द पूरी पेंशन मिल सकेगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पहले से ज्यादा मजबूत हो जाएगी।
2025 के नए पेंशन नियम – क्या है खास?
22 मई 2025 से केंद्र सरकार ने पेंशन से जुड़े कुछ नए नियम लागू किए हैं, जो खास तौर पर Old Pension Scheme (OPS) में आने वाले कर्मचारियों के लिए हैं।
अब अगर कोई सरकारी कर्मचारी अनुशासनहीनता या गलत व्यवहार की वजह से PSU (सार्वजनिक उपक्रम) से निकाला जाता है, तो उसकी पेंशन और रिटायरमेंट लाभ जब्त किए जा सकते हैं।
यह नियम उन सभी कर्मचारियों पर लागू होता है जो 31 दिसंबर 2003 से पहले नियुक्त हुए हैं। मतलब ये लोग अभी OPS में आते हैं।
लेकिन ये नियम NPS, रेलवे, IAS/IPS/IFoS और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों पर लागू नहीं होंगे।
किन पर पड़ेगा सीधा असर?
- वो कर्मचारी जो OPS के अंतर्गत आते हैं।
- जो लोग सरकारी नौकरी छोड़कर किसी PSU में गए और वहां से निकाले गए।
- अगर वहां से निकाले जाने का कारण अनुशासनहीनता है, तो उन्हें पेंशन, ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट जैसी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
- हालांकि अंतिम फैसला मंत्रालय की समीक्षा के बाद ही होगा, इसलिए कुछ हद तक राहत की गुंजाइश बनी रहती है।
फायदे और नुकसान – एक नजर में
फायदे:
- रिटायरमेंट पर एक साथ मोटी रकम मिलती है, जिससे कोई बड़ा खर्च जैसे मकान मरम्मत, बच्चों की पढ़ाई या शादी में मदद मिलती है।
- बाकी की पेंशन भी मिलती रहती है।
- 15 साल बाद पूरी पेंशन दोबारा बहाल हो जाती है।
नुकसान:
- जब तक पेंशन पूरी तरह बहाल नहीं होती, तब तक मासिक इनकम कम रहती है।
- अगर कर्मचारी 15 साल पूरे होने से पहले गुजर जाता है, तो फैमिली पेंशन भी कम हो सकती है।
- अब अनुशासनहीनता या बर्खास्तगी की हालत में पूरी पेंशन और रिटायरमेंट लाभ छिनने का भी खतरा है।
क्या जल्दी बहाल होगी पूरी पेंशन?
यही वो मुद्दा है जिस पर हजारों पेंशनर्स की नजरें टिकी हुई हैं। कर्मचारी संगठनों की ओर से बार-बार सरकार से अपील की जा रही है कि पेंशन की बहाली की अवधि को घटाकर 15 साल से 10 या 12 साल किया जाए।
सरकार ने इस पर विचार करने की बात कही है लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
पेंशनर्स क्या करें?
- सबसे जरूरी है कि नौकरी में रहते हुए अनुशासन और नियमों का पालन करें ताकि रिटायरमेंट लाभ खतरे में न पड़ें।
- Commuted Pension का विकल्प लेने से पहले अच्छे से सोचें और भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखें।
- पेंशन से जुड़े नियमों और बदलावों की अपडेट लेते रहें, ताकि कोई मौका न छूटे या गलतफहमी न हो।
Commuted Pension एक सुविधाजनक स्कीम है जो रिटायर्ड कर्मचारियों को तुरंत बड़ी राशि देती है। लेकिन इसके साथ ही जिम्मेदारी और सतर्कता भी जरूरी है, क्योंकि अब नए नियमों में सख्ती आ गई है।
अगर केंद्र सरकार पेंशन बहाली की समयसीमा घटाने का फैसला करती है, तो ये हजारों पेंशनर्स के लिए राहत की बात होगी। लेकिन तब तक, नियमों का पालन करें, अपडेट रहें और पेंशन योजना को लेकर सोच-समझकर निर्णय लें।