Contract Employees Regularization Update – अगर आप संविदा पर काम कर रहे हैं और सालों से सरकारी विभाग में मेहनत कर रहे हैं, तो आपके लिए ये खबर किसी राहत से कम नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में ऐसा फैसला सुनाया है जिससे लाखों संविदा कर्मचारियों को उम्मीद की नई किरण दिखाई दी है।
दरअसल, कोर्ट ने कहा है कि जो कर्मचारी लगातार बिना किसी रुकावट के संविदा पर काम कर रहे हैं, उन्हें अब सरकारी सेवा में रेगुलर किया जाना चाहिए। यह फैसला आगरा के सरकारी उद्यान में माली के रूप में काम कर रहे महावीर सिंह और उनके पांच साथियों की याचिका पर सुनाया गया है। इन लोगों ने सालों से बिना किसी ब्रेक के सेवा दी थी, फिर भी उन्हें नियमित करने से मना कर दिया गया था। इसी के खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी।
क्या कहा कोर्ट ने?
कोर्ट का कहना साफ है कि अगर कोई कर्मचारी लंबे समय से लगातार सेवा दे रहा है, और उसे सिर्फ इसलिए रेगुलर नहीं किया जा रहा क्योंकि उसकी नियुक्ति संविदा पर हुई थी, तो ये संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन है। ये अनुच्छेद समान अवसर और समान अधिकार की बात करता है। ऐसे में जिन कर्मचारियों की सेवा निरंतर रही है, उन्हें रेगुलर करने से इनकार नहीं किया जा सकता।
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कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी कर्मचारी को जानबूझकर सेवा से हटाया गया हो, या कृत्रिम तरीके से काम पर ब्रेक डाला गया हो, तो वह अलग बात है। लेकिन अगर कोई कर्मी सालों से लगातार ड्यूटी कर रहा है, तो फिर उसे रेगुलर करने पर विचार जरूर होना चाहिए।
केस की पूरी कहानी
महावीर सिंह और उनके साथियों को 1998 से 2001 के बीच संविदा पर माली की नौकरी दी गई थी। तब से अब तक वो लोग लगातार अपनी सेवा दे रहे हैं। उन्होंने 2016 में एक अधिसूचना के तहत रेगुलर होने के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन उनकी अर्जी खारिज कर दी गई। इससे दुखी होकर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हालांकि निचली अदालत (एकल पीठ) ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था। लेकिन न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने इनकी विशेष अपील स्वीकार करते हुए एक बड़ा निर्णय लिया। कोर्ट ने चयन समिति को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं की बात फिर से सुनी जाए और उनकी नियमितीकरण की मांग पर नए सिरे से विचार किया जाए।
संविदा कर्मचारियों के लिए क्या मतलब है इस फैसले का?
इस फैसले का मतलब साफ है – यदि आप कई वर्षों से संविदा पर कार्य कर रहे हैं, और आपकी सेवा में कोई ब्रेक नहीं रहा है, तो आपको रेगुलर नौकरी का पूरा हक है। इस तरह के कई मामलों में सरकारें या विभाग यह तर्क देती हैं कि संविदा कर्मियों को नियमित नहीं किया जा सकता क्योंकि उनकी नियुक्ति स्थायी नहीं थी। लेकिन हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि निरंतर सेवा ही सबसे बड़ा आधार है।
संविधान क्या कहता है?
अनुच्छेद 16 में हर व्यक्ति को सरकारी सेवा में समान अवसर देने की बात कही गई है। अगर कोई व्यक्ति वर्षों से सेवा दे रहा है और उसे सिर्फ इसलिए रेगुलर नहीं किया जा रहा कि वो संविदा पर है, तो यह न सिर्फ अन्याय है बल्कि संविधान के खिलाफ भी है।
क्या यह फैसला सभी पर लागू होगा?
यह फैसला सीधे तौर पर उन संविदा कर्मियों के लिए है जो निरंतर सेवा में हैं और सालों से बिना रुके काम कर रहे हैं। हालांकि हर मामला अपने हिसाब से अलग होता है, लेकिन यह आदेश एक मिसाल बन सकता है और देशभर के संविदा कर्मचारियों के लिए उम्मीद जगा सकता है।
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सरकारी विभागों में लाखों लोग ऐसे हैं जो सालों से संविदा पर काम कर रहे हैं। ना तो उन्हें पक्का किया गया है और ना ही वे स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं पा रहे हैं। लेकिन अब इस हाई कोर्ट के फैसले के बाद, यह तस्वीर बदल सकती है। अगर आप भी लंबे समय से संविदा पर काम कर रहे हैं, तो यह फैसला आपके लिए भी राहत की घंटी हो सकता है। ऐसे मामलों में कानूनी मदद लेना और अपने अधिकारों को जानना बहुत जरूरी है।
