House Rent Registration Rules – अगर आप मकान मालिक हैं और अपने मकान को किराए पर देने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सरकार ने रियल एस्टेट से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिसके तहत अब अगर आप बिना रजिस्ट्रेशन मकान किराए पर देते हैं, तो आपको भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। यह नियम सिर्फ मालिकों के लिए ही नहीं, बल्कि किराएदारों के लिए भी जरूरी है, ताकि दोनों पक्षों को कानूनी सुरक्षा मिल सके और धोखाधड़ी से बचा जा सके।
क्यों लाया गया यह नया नियम?
दरअसल, आजकल कई ऐसे मामले सामने आते हैं जहां मकान बिना किसी लिखित एग्रीमेंट या रजिस्ट्रेशन के किराए पर दे दिए जाते हैं। ऐसे में अगर कोई विवाद होता है, तो दोनों पक्षों को कानून का सहारा लेने में मुश्किल आती है। यही वजह है कि सरकार ने अब रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बना दिया है।
क्या कहता है नया नियम?
सरकार के अनुसार अब कोई भी मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर देने से पहले उसका रजिस्टर्ड एग्रीमेंट बनवाना जरूरी है। यदि कोई व्यक्ति बिना रजिस्ट्रेशन के मकान किराए पर देता है, तो उस पर 5 हजार से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह नियम पूरे देश में लागू किया जा रहा है ताकि किराए पर मकान देने की प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित बन सके।
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रजिस्ट्रेशन जरूरी क्यों है?
1. धोखाधड़ी से बचाव:
बिना एग्रीमेंट के कई बार किराएदार महीनों तक किराया नहीं देते और जबरन मकान में कब्जा कर लेते हैं। लेकिन रजिस्टर्ड एग्रीमेंट की मदद से मकान मालिक को कानून का सहारा आसानी से मिल जाता है।
2. कानूनी सुरक्षा:
रजिस्ट्री के बाद दोनों पक्षों की जिम्मेदारियां और अधिकार स्पष्ट हो जाते हैं। इससे भविष्य में किसी भी विवाद को कोर्ट में आसानी से सुलझाया जा सकता है।
3. टैक्स में पारदर्शिता:
रजिस्टर्ड एग्रीमेंट से सरकार के पास किराए की कमाई का रिकॉर्ड रहता है, जिससे टैक्स चोरी की संभावना कम होती है।
किराया रजिस्ट्रेशन कब जरूरी है?
अगर आप किसी को 11 महीने से ज्यादा के लिए मकान किराए पर दे रहे हैं, तो उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। हालांकि, अब कई राज्य 11 महीने तक के एग्रीमेंट को भी रजिस्टर करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या है?
1. किराया एग्रीमेंट तैयार करें:
सबसे पहले मकान मालिक और किराएदार के बीच किराए की शर्तों को लेकर एक एग्रीमेंट तैयार किया जाता है, जिसमें किराया, जमा राशि, बिल भुगतान, नोटिस पीरियड आदि बातें शामिल होती हैं।
2. सब-रजिस्ट्रार ऑफिस जाएं:
इस एग्रीमेंट को अपने नजदीकी सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में लेकर जाएं और स्टांप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन फीस भरें।
3. दोनों पक्षों की मौजूदगी जरूरी:
रजिस्ट्रेशन के समय मकान मालिक और किराएदार दोनों को उपस्थित रहना जरूरी होता है। साथ ही आधार कार्ड, फोटो, प्रॉपर्टी पेपर जैसे दस्तावेज साथ ले जाएं।
क्या करें ताकि जुर्माना न लगे?
- बिना देरी किए किराया एग्रीमेंट रजिस्टर्ड करवाएं
- तय समय के लिए ही एग्रीमेंट बनवाएं
- हर बदलाव को अपडेट करें
- लोकल गाइडलाइन्स और नियम जरूर पढ़ें
- रजिस्टर्ड कॉपी अपने पास रखें
मकान मालिकों के लिए अतिरिक्त सावधानी
कई बार लोग बिना पुलिस वेरिफिकेशन के ही किराएदार रख लेते हैं, जो बाद में बड़ी समस्या बन सकता है। इसलिए:
- किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन जरूर कराएं
- उसकी पहचान और पुराने रिकॉर्ड की जांच करें
- आईडी प्रूफ और एड्रेस प्रूफ की कॉपी अपने पास रखें
किसे मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?
इस नियम से सबसे ज्यादा फायदा उन मकान मालिकों को होगा जो बार-बार किराएदार बदलते हैं। साथ ही किराएदारों को भी फायदा होगा, क्योंकि रजिस्टर्ड एग्रीमेंट से उनकी जमा राशि या अन्य शर्तें कानूनी रूप से सुरक्षित रहेंगी।
क्या होगा अगर नियम तोड़ा?
अगर कोई मकान मालिक या किराएदार इस नियम का पालन नहीं करता है, तो प्रशासन उसके खिलाफ जुर्माना लगाने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है। जरूरत पड़ने पर प्रॉपर्टी सील भी की जा सकती है और कोर्ट केस भी हो सकता है।
किराएदारों के अधिकार
रजिस्टर्ड एग्रीमेंट से किराएदार को यह अधिकार मिलता है कि वह अपने किराए और सुविधाओं को लेकर सुरक्षा पा सके। मकान मालिक मनमर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकता, और हर बात लिखित एग्रीमेंट के अनुसार ही मान्य होगी।
सरकार का यह नया नियम प्रॉपर्टी क्षेत्र में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। अगर आप मकान मालिक हैं तो बिना रजिस्ट्रेशन मकान किराए पर न दें। और अगर आप किराएदार हैं, तो एग्रीमेंट की रजिस्टर्ड कॉपी जरूर लें। इससे दोनों ही पक्ष सुरक्षित रहेंगे और भविष्य में किसी भी विवाद की नौबत नहीं आएगी।
