Income Tax Department – सरकारी दफ्तरों में आम आदमी को कितनी दिक्कत होती है, ये तो हर टैक्स भरने वाला जानता है। खासकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में अगर फंस गए तो फिर बस कागजों का पुलिंदा, बार-बार जवाब और मनमानी जांच का झमेला शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार बॉम्बे हाईकोर्ट ने साफ कह दिया है कि ये सब नहीं चलेगा। कोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग को साफ-साफ कहा कि टैक्सपेयर के पैसे वापस करो, वरना ब्याज भी देना होगा।
क्या है पूरा मामला?
ये कहानी है मुंबई के एक जाने-माने वकील राम मेंडाडकर की। जुलाई 2018 में वो दिल्ली एयरपोर्ट पर थे, और उनके पास 16 लाख रुपये कैश मिला। एयर इंटेलिजेंस यूनिट को शक हुआ और तुरंत इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को बुला लिया गया। बिना ज्यादा सोचे-समझे अफसरों ने वो पैसा जब्त कर लिया और कहा कि ये छुपाई गई इनकम है।
वकील साहब ने काफी समझाने की कोशिश की कि ये पैसे उनके क्लाइंट्स ने वकालत फीस के तौर पर दिए हैं, सबका हिसाब-किताब रिकॉर्ड में है, लेकिन अफसरों ने उनकी एक न सुनी।
वकील का पक्ष
राम मेंडाडकर ने कहा कि उन्हें अप्रैल 2018 में दो केस के लिए क्लाइंट्स से फीस मिली थी – 6 लाख रुपये कैश में और बाकी चेक से। उन्होंने ये भी बताया कि ये रकम उनके प्रोफेशनल अकाउंट में दर्ज है और हर ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड मौजूद है। उनका टैक्स रिकॉर्ड भी बिल्कुल क्लीन है।
लेकिन आयकर अफसरों को मानो यकीन ही नहीं था। उन्होंने बिना पूरी जांच किए सीधे पैसे जब्त कर लिए।
फिर क्या हुआ?
वकील ने हार नहीं मानी और केस आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) तक ले गए। वहां जांच हुई, बैंक रिकॉर्ड देखे गए, क्लाइंट्स से पूछताछ की गई और आखिरकार ITAT ने माना कि पैसा वाकई में वकालत फीस है, कोई गड़बड़ी नहीं है। ITAT ने कहा कि इनकम टैक्स विभाग को पैसा वापस करना चाहिए।
लेकिन अफसर टस से मस नहीं हुए
ITAT का फैसला आने के बावजूद इनकम टैक्स विभाग ने पैसा वापस नहीं किया। मजबूर होकर मेंडाडकर को बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। और यहीं से कहानी में नया मोड़ आया।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
बॉम्बे हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने जब पूरा मामला सुना तो गुस्से में आ गई। उन्होंने पूछा – जब ITAT ने साफ कह दिया है कि पैसा लौटाओ, तो अभी तक क्यों नहीं लौटाया? कोर्ट ने यह भी कहा कि नीचे के अफसर अगर ऊपरी आदेश नहीं मानते तो ये बहुत गंभीर बात है।
कोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग को साफ निर्देश दिया कि वकील को 16 लाख रुपये तुरंत लौटाए जाएं। साथ ही धमकी भी दी – अगर देरी की तो ब्याज भी देना होगा, वो भी 12 मई से गिनकर।
विभाग की हालत पतली हो गई
कोर्ट की सख्ती देखकर इनकम टैक्स के अफसरों की हालत खराब हो गई। उन्होंने पहले तो ITAT के फैसले को चैलेंज करने के लिए हलफनामा (अफिडेविट) दिया था, लेकिन कोर्ट ने जैसे ही फटकार लगाई, वो हलफनामा भी वापस लेना पड़ा। ये दिखाता है कि उनके पास विरोध करने की कोई ठोस वजह नहीं थी।
कोर्ट ने क्या कहा आगे के लिए?
कोर्ट ने इस केस के बहाने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को बड़ा मैसेज दे दिया। कहा गया कि अफसरों को सही ट्रेनिंग दी जाए ताकि वो बिना वजह किसी टैक्सपेयर को परेशान न करें। साथ ही ये भी कहा कि टैक्स भरने वालों को बेवजह परेशान करना सिस्टम के लिए अच्छा नहीं है। इसके लिए वित्त मंत्रालय और CBDT को जरूरी कदम उठाने चाहिए।
करदाताओं के लिए राहत की खबर
इस फैसले के बाद देशभर के टैक्सपेयर को थोड़ी राहत की सांस जरूर मिलेगी। कोर्ट ने साफ बता दिया कि डिपार्टमेंट की मनमानी अब नहीं चलेगी। अगर आपके पास सही दस्तावेज और हिसाब है, तो कोई भी अधिकारी जबरन पैसे नहीं ले सकता। और अगर ऐसा होता है, तो कोर्ट आपके साथ खड़ा है।
क्या सिखाता है ये मामला?
- अगर आप ईमानदारी से टैक्स भरते हैं तो डरने की जरूरत नहीं।
- रिकॉर्ड और कागज मजबूत रखें, कभी भी काम आ सकते हैं।
- अधिकारी गलत हैं तो अदालत का सहारा जरूर लें।
- न्याय की लड़ाई लंबी हो सकती है, लेकिन हार मत मानिए।
इनकम टैक्स से जुड़ा ये केस एक बड़ा उदाहरण है कि अगर आप सही हैं और आपकी बात में सच्चाई है, तो आपको न्याय जरूर मिलेगा। इस फैसले से बाकी अधिकारियों को भी सबक मिलेगा और टैक्सपेयर को थोड़ी राहत मिलेगी। उम्मीद है कि ऐसे मामलों में अब सुधार होगा और ईमानदार लोगों को बेवजह परेशान नहीं किया जाएगा।