PPF Interest Rate – अब पीपीएफ यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जिसे जानना हर निवेशक के लिए जरूरी है। सरकार इस बार पीपीएफ की ब्याज दर में कटौती करने की सोच रही है। अगर ऐसा हुआ, तो ये पिछले 51 सालों का सबसे बड़ा बदलाव होगा।
फिलहाल क्या ब्याज दर चल रही है?
अभी तक पीपीएफ पर 7.1 फीसदी का ब्याज मिल रहा है और ये रेट लंबे वक्त से एक जैसा बना हुआ है। लेकिन अब सरकार इसे घटाकर 6.5 फीसदी तक लाने का विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है, तो ये 1974 के बाद पहली बार होगा जब पीपीएफ का ब्याज 7 फीसदी से नीचे जाएगा।
क्या है सरकार की योजना?
30 जून 2025 को सरकार की एक अहम मीटिंग होने वाली है जिसमें स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स जैसे पीपीएफ, एनएससी और सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम की ब्याज दरों पर दोबारा विचार किया जाएगा। यही वो मीटिंग है जिसमें पीपीएफ की दरों को घटाने पर फैसला लिया जा सकता है।
अब सोचने वाली बात ये है कि आखिर सरकार ऐसा क्यों कर रही है? तो इसका जवाब भी साफ है – इस साल आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 1 प्रतिशत की कटौती की है, जिससे बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट और बॉन्ड यील्ड में गिरावट आई है। इसका सीधा असर पीपीएफ जैसी सेविंग स्कीम्स पर पड़ता है।
निवेशकों को लग सकता है झटका
अब अगर ब्याज दर घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दी जाती है, तो लाखों निवेशकों को झटका लग सकता है। वो लोग जो लंबे समय से पीपीएफ में पैसा जमा कर रहे हैं ताकि रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित फंड मिल सके, अब उन्हें मिलने वाला रिटर्न पहले से कम हो सकता है।
यानी अगर पहले कोई 1 लाख रुपये जमा करता था और 7.1 प्रतिशत के हिसाब से उसे सालाना ब्याज मिलता था, तो अब वही ब्याज कम होकर मिलेगा। मतलब, आपका पैसा उतना तेज़ नहीं बढ़ेगा जितनी उम्मीद थी।
कभी मिलता था 12 प्रतिशत ब्याज
अब ज़रा पीछे चलते हैं। पीपीएफ की शुरुआत 1968 में हुई थी। तब इसकी ब्याज दर सिर्फ 5 फीसदी थी। फिर 1974 में ये रेट 7 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई। और फिर 1986 से लेकर 1999 तक तो सरकार ने पूरे 12 प्रतिशत ब्याज दिया था।
सोचिए, उस समय जो लोग निवेश कर रहे थे, उन्हें कितना जबरदस्त फायदा हुआ होगा। लेकिन फिर धीरे-धीरे ब्याज दरों में गिरावट शुरू हुई और 2020 से अब तक लगातार 7.1 प्रतिशत पर ही बनी हुई है।
पिछले कुछ सालों में क्यों नहीं बदली ब्याज दर?
पिछले चार-पांच साल में भले ही बाजार में कई उतार-चढ़ाव आए हों, लेकिन पीपीएफ की ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया। शायद सरकार ने कोरोना और आर्थिक मंदी के समय आम लोगों को राहत देने के मकसद से दरों को स्थिर रखा। लेकिन अब जब आर्थिक हालात थोड़े सामान्य हो रहे हैं, सरकार दोबारा रिव्यू कर रही है।
क्या निवेशकों को अब पीपीएफ छोड़ देना चाहिए?
देखिए, ब्याज दर भले ही थोड़ी घटे लेकिन पीपीएफ अभी भी देश की सबसे सुरक्षित निवेश योजनाओं में से एक है।
- ये सरकार द्वारा गारंटीड स्कीम है
- इसमें मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है
- मैच्योरिटी पर पूरी रकम टैक्स से बची रहती है
- लंबी अवधि के लिए ये एक भरोसेमंद विकल्प है
तो अगर आप सुरक्षित निवेश करना चाहते हैं और लंबी अवधि तक रुक सकते हैं, तो पीपीएफ से बेहतर विकल्प अभी भी बहुत कम हैं।
क्या होगा अब आगे?
अब सभी की निगाहें 30 जून 2025 को होने वाली उस मीटिंग पर टिकी हुई हैं, जिसमें फैसला लिया जाएगा कि ब्याज दर घटेगी या नहीं। अगर सरकार ने दर घटाई, तो कई लोग इस फैसले को लेकर नाखुश हो सकते हैं। वहीं अगर दर जस की तस रही, तो ये राहत की खबर होगी।
तो कुल मिलाकर बात ये है कि पीपीएफ को लेकर इस वक्त एक बड़ा बदलाव आने वाला है। अगर आप भी पीपीएफ में निवेश करते हैं या करने की सोच रहे हैं, तो आपको सरकार के इस संभावित फैसले पर ध्यान देना चाहिए। हो सकता है कि आपको अपनी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी में थोड़ा बदलाव करना पड़े। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पीपीएफ अभी भी सुरक्षित और फायदेमंद विकल्प बना हुआ है।
अब देखना ये है कि 30 जून के बाद सरकार क्या फैसला लेती है – क्या ब्याज दर में कटौती होगी या फिर आम लोगों को राहत दी जाएगी।
