Personal Loan Rules – आजकल लोन लेना हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है। कभी घर खरीदने के लिए, तो कभी बच्चों की पढ़ाई या किसी मेडिकल इमरजेंसी के लिए लोग लोन लेते हैं। लेकिन एक सवाल अक्सर मन में आता है कि अगर लोन लेने वाले की अचानक मृत्यु हो जाए, तो क्या होगा? क्या उसके परिवार को वो पूरा लोन चुकाना पड़ेगा या बैंक खुद कोई रास्ता निकालता है?
इसका जवाब लोन की किस्म और शर्तों पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में परिवार को राहत मिलती है, तो कुछ में जिम्मेदारी उन पर आ जाती है। चलिए, इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं—
1. क्रेडिट कार्ड से लिया गया लोन
क्रेडिट कार्ड लोन एक अनसिक्योर्ड लोन होता है यानी इसके बदले में कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखी जाती। अब अगर कार्डधारक की अचानक मृत्यु हो जाए और कुछ रकम बकाया हो, तो बैंक आमतौर पर उसे राइट-ऑफ कर देता है। इसका मतलब बैंक उस रकम को नुकसान मानकर छोड़ देता है।
इससे परिवार पर किसी तरह का लोन चुकाने का दबाव नहीं बनता। हालांकि, ये तभी होता है जब बैंक की पॉलिसी में ऐसा प्रावधान हो। कुछ खास मामलों में बैंक कानूनी तरीके से बकाया राशि वसूलने की कोशिश भी कर सकता है, खासकर अगर क्रेडिट कार्ड का बीमा नहीं लिया गया हो।
2. पर्सनल लोन का क्या होता है?
पर्सनल लोन भी एक अनसिक्योर्ड लोन होता है, जिसमें कोई संपत्ति गिरवी नहीं होती। अगर पर्सनल लोन लेने वाला व्यक्ति अचानक चल बसता है, तो बैंक को पैसा वसूलने में मुश्किल होती है। लेकिन अगर उस लोन के साथ कोई गारंटर जुड़ा हो, तो बैंक उससे पूरी रकम वसूल सकता है।
इसलिए अगर आप किसी के गारंटर बन रहे हैं तो सोच-समझकर ही फैसला करें। क्योंकि अगर लोनधारक नहीं रहा, तो बैंक आपसे पैसा मांगेगा।
3. होम लोन में परिवार पर आता है बोझ
होम लोन एक सिक्योर्ड लोन होता है। यानी इसके बदले में आपने जो मकान या फ्लैट लिया है, वो बैंक के पास गिरवी रहता है। अब अगर लोनधारक की मृत्यु हो जाती है और लोन अभी बाकी है, तो बैंक सबसे पहले देखता है कि क्या कोई को-एप्लिकेंट है, जैसे कि पत्नी, बेटा या बेटी।
अगर को-एप्लिकेंट है, तो लोन चुकाने की जिम्मेदारी उसकी हो जाती है। और अगर कोई को-एप्लिकेंट नहीं है या वह लोन चुकाने की स्थिति में नहीं है, तो बैंक SARFAESI एक्ट के तहत उस प्रॉपर्टी की नीलामी कर सकता है।
इसमें भावनाएं नहीं, सिर्फ बैंक की रिकवरी देखी जाती है।
4. अगर लोन के साथ इंश्योरेंस हो तो?
अब ये एक बहुत ही काम की बात है। आजकल कई बैंक लोन देते समय उसके साथ लोन इंश्योरेंस भी ऑफर करते हैं। अगर आपने लोन के साथ इंश्योरेंस लिया है और दुर्भाग्यवश आपकी मृत्यु हो जाती है, तो इंश्योरेंस कंपनी पूरा लोन चुका देती है।
इससे आपके परिवार पर कोई वित्तीय दबाव नहीं आता और बैंक को भी नुकसान नहीं होता। इसलिए जब भी लोन लें, यह जरूर जांचें कि उसके साथ बीमा शामिल है या नहीं।
लोन लेते वक्त किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?
अब अगर आप लोन लेने का प्लान कर रहे हैं, तो सिर्फ EMI और ब्याज दर पर ध्यान देना काफी नहीं है। आपको कुछ और जरूरी बातों पर भी ध्यान देना चाहिए—
- क्या लोन के साथ इंश्योरेंस भी है?
- अगर कोई गारंटर है, तो क्या वह जानता है?
- को-एप्लिकेंट कौन है और उसकी जिम्मेदारियां क्या होंगी?
- लोन सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड?
इन सभी सवालों के जवाब आपको पहले से पता होने चाहिए, ताकि भविष्य में कोई दिक्कत ना आए।
परिवार की सुरक्षा भी है जरूरी
लोन लेते समय हम अपनी जरूरतों पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन ये भी सोचना जरूरी है कि अगर हमारे साथ कुछ हो गया, तो हमारे बाद परिवार कैसे इन जिम्मेदारियों को निभाएगा? इसीलिए लोन इंश्योरेंस जैसे विकल्पों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
लोन लेना आसान है लेकिन उससे जुड़ी जिम्मेदारियों को समझना और भविष्य की योजना बनाना भी उतना ही जरूरी है। हर लोन का नियम अलग होता है और उसकी शर्तें भी। इसलिए लोन लेते समय पूरी जानकारी लें और दस्तावेज ठीक से पढ़ें। अगर आप लोन लेने जा रहे हैं, तो इस बात का ख्याल रखें कि आपके बाद आपके परिवार को बिना वजह आर्थिक बोझ ना उठाना पड़े।
अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए सोच-समझकर ही लोन लें और इंश्योरेंस को नजरअंदाज बिल्कुल ना करें।