कब्जा करते रहो और बन जाओ मालिक! सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले ने मचाया धमाल! Supreme Court

By Prerna Gupta

Published On:

Supreme Court June 2025

Supreme Court – भारत में प्रॉपर्टी विवाद बहुत आम हैं, खासकर ऐसी ज़मीनों को लेकर जिन पर लोग बिना रजिस्ट्री या दस्तावेजों के वर्षों से रह रहे होते हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है – क्या कोई व्यक्ति सिर्फ लंबे समय तक किसी ज़मीन पर कब्जा करके उसका मालिक बन सकता है? हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर बड़ा फैसला सुनाया है, जिसने लाखों लोगों की उम्मीदें जगा दी हैं।

क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी ज़मीन पर लगातार 12 साल या उससे ज़्यादा समय तक खुलकर और बिना किसी विरोध के कब्जा करके बैठा है, और असली मालिक ने इस दौरान कोई आपत्ति नहीं की, तो उस व्यक्ति को उस ज़मीन का कानूनी मालिक माना जा सकता है। इस कानूनी सिद्धांत को ‘Adverse Possession’ कहा जाता है।

Adverse Possession क्या होता है?

Adverse Possession यानी ‘विरोधी कब्जा’ – एक ऐसा नियम है जिसमें अगर आप किसी ज़मीन पर लंबे समय से बिना मालिक की अनुमति के रह रहे हैं, और असली मालिक ने उस कब्जे का विरोध नहीं किया, तो आप उस ज़मीन पर मालिकाना दावा कर सकते हैं। यह कानून प्रॉपर्टी को एक्टिव रूप से इस्तेमाल में न लाने वाले असली मालिकों के खिलाफ एक चेतावनी के रूप में देखा जाता है।

यह भी पढ़े:
DA Hike केंद्र सरकार का तोहफा! 4% DA हाइक के साथ मिलेगा अब तक का सबसे बड़ा फायदा DA Hike

कब मिल सकता है मालिकाना हक?

Adverse Possession के तहत मालिकाना हक तभी मिलेगा जब कुछ शर्तें पूरी हों:

  • कब्जा खुले तौर पर होना चाहिए, छुपा हुआ नहीं।
  • कब्जा लगातार 12 साल या उससे अधिक समय तक बरकरार रहना चाहिए।
  • असली मालिक ने उस दौरान कोई आपत्ति या कानूनी कार्रवाई नहीं की होनी चाहिए।
  • कब्जा करने वाला जानबूझकर और खुद की मर्जी से ज़मीन पर रह रहा हो।

किसे मिलेगा फायदा?

यह फैसला उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो वर्षों से किसी खाली ज़मीन या छोड़ी हुई संपत्ति पर रह रहे हैं और उनके पास कानूनी कागज़ात नहीं हैं। अगर आप 12 साल या उससे ज़्यादा समय से किसी ज़मीन पर रह रहे हैं, और मालिक ने कोई दावा नहीं किया, तो अब आप कोर्ट में Adverse Possession के तहत मालिकाना हक का दावा कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अगर असली मालिक अपनी ही संपत्ति को लेकर लापरवाह है और लंबे समय तक कोई दावा नहीं करता, तो कब्जा करने वाले को उसका हक दिया जाना चाहिए। ये फैसला न केवल कानून की व्याख्या करता है, बल्कि लोगों को यह भी सिखाता है कि संपत्ति पर ध्यान न देना कितना महंगा पड़ सकता है।

यह भी पढ़े:
DA Arrear 18 महीने का बकाया DA मिलेगा एक साथ! कर्मचारियों के चेहरे पर लौटी मुस्कान DA Arrear

प्रॉपर्टी मालिकों के लिए अलर्ट

इस फैसले के बाद असली मालिकों को सतर्क हो जाना चाहिए। अगर आपने अपनी जमीन या मकान पर सालों से ध्यान नहीं दिया है और किसी ने कब्जा कर लिया है, तो आपका मालिकाना हक खतरे में पड़ सकता है।

क्या करें:

  • समय-समय पर अपनी संपत्ति की जांच करें।
  • कब्जा दिखे तो तुरंत कानूनी कदम उठाएं – 12 साल से पहले केस दर्ज कर दें।
  • बिजली, पानी या टैक्स की रसीद अपने नाम से बनवाते रहें।

अदालत में कैसे करें दावा?

अगर आप 12 साल से ज़्यादा समय से किसी ज़मीन पर रह रहे हैं, तो आप कोर्ट में मालिकाना हक का केस कर सकते हैं। इसके लिए:

यह भी पढ़े:
Petrol Diesel Price जून में पेट्रोल-डीजल के दाम में बड़ी गिरावट! जानिए अपने शहर का नया रेट Petrol Diesel Price

जरूरी सबूत:

  • ज़मीन पर आपके कब्जे की फोटो या वीडियो
  • गवाहों के बयान
  • बिजली, पानी या गैस बिल, जो यह साबित करें कि आप वहां रह रहे हैं

प्रक्रिया:

  • सिविल कोर्ट में दावा करें
  • कब्जे की पूरी अवधि और स्थिति स्पष्ट करें
  • अदालत में यह साबित करें कि कब्जा बिना किसी छुपाव के और लगातार रहा है
  • कोर्ट सारे दस्तावेजों और परिस्थितियों को देखते हुए फैसला देता है

Supreme Court का यह फैसला जमीन कानून के इतिहास में बहुत अहम माना जा रहा है। अब सिर्फ कागजों के आधार पर नहीं, बल्कि लंबे समय तक लगातार कब्जा रखने पर भी किसी को मालिकाना हक मिल सकता है – बशर्ते सभी शर्तें पूरी की गई हों। यह फैसला जहां एक तरफ वर्षों से डर में जी रहे कब्जेदारों को राहत देता है, वहीं असली मालिकों के लिए एक चेतावनी भी है कि अगर आप अपनी संपत्ति की परवाह नहीं करेंगे, तो वो हाथ से जा सकती है।

यह भी पढ़े:
Home Loan मात्र ₹20,000 सैलरी में भी ले सकते हैं होम लोन – जानिए ये आसान फॉर्मूला Home Loan

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। Adverse Possession से जुड़े किसी भी कानूनी दावे से पहले कृपया किसी अनुभवी वकील से सलाह लें। कोर्ट का फैसला स्थिति और सबूतों पर निर्भर करता है।

यह भी पढ़े:
Son In Law Property Rights दामाद का ससुराल की प्रॉपर्टी पर कितना हक, हाईकोर्ट के आदेश ने खोल दी सच्चाई Son In Law Property Rights

Leave a Comment

Join Whatsapp Group🔔 लोन और इन्शुरेंस चाहिए?