चेक बाउंस होते ही शुरू हो जाती हैं ये 3 खतरनाक कानूनी कार्रवाइयां – जानिए बचने का तरीका Cheque Bounce Rule

By Prerna Gupta

Published On:

Cheque Bounce Rule

Cheque Bounce Rule – आज के डिजिटल ज़माने में भी कई लोग पेमेंट के लिए चेक का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अगर किसी ने आपको चेक दिया और वो बाउंस हो गया, तो ये सिर्फ एक पेमेंट फेल नहीं है – बल्कि यह एक कानूनी मामला बन सकता है। जी हां, चेक बाउंस होना भारत के कानून के तहत अपराध है और इसके लिए सीधे जेल भी हो सकती है।

चेक बाउंस क्यों होता है और कैसे बचें?

चेक बाउंस होने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। सबसे कॉमन कारण है – अकाउंट में पैसे ना होना। इसके अलावा अगर चेक पर किया गया सिग्नेचर बैंक में मौजूद सिग्नेचर से मैच नहीं करता या फिर चेक पर ओवरराइटिंग की गई है, तो भी बैंक चेक रिजेक्ट कर देता है। एक और जरूरी बात – चेक की वैलिडिटी सिर्फ 3 महीने की होती है। इसके बाद अगर आप उसे जमा करेंगे, तो वो मान्य नहीं रहेगा। इन बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है वरना बेवजह का झंझट खड़ा हो सकता है।

बैंक क्या करता है जब चेक बाउंस हो जाता है?

जैसे ही चेक बाउंस होता है, बैंक एक रिटर्न स्लिप देता है जिसमें साफ लिखा होता है कि चेक क्यों बाउंस हुआ। साथ ही, चेक देने वाले के अकाउंट से एक पेनाल्टी चार्ज भी कट जाता है। कई बैंक SMS या ईमेल के जरिए भी इसकी सूचना देते हैं। इस स्टेज पर अगर चेक देने वाला व्यक्ति फौरन एक्शन ले, जैसे कि पैसे जमा करके दोबारा क्लियरेंस का आग्रह करे, तो मामला बढ़ने से पहले ही सुलझ सकता है।

यह भी पढ़े:
EPFO Hikes Minimum Pension पेंशनर्स के लिए खुशखबरी! सरकार देगी ₹36,000 हर साल – जानें कब और कैसे मिलेगा EPFO Hikes Minimum Pension

पेमेंट करने के लिए कितना टाइम मिलता है?

अगर चेक बाउंस हो गया है, तो चेक लेने वाला पहले एक डिमांड नोटिस भेजता है। इस नोटिस के बाद चेक देने वाले को 30 दिन का टाइम दिया जाता है कि वो पैसे चुका दे। अगर इस दौरान पेमेंट कर दिया गया, तो बात वहीं खत्म हो जाती है। अगर पेमेंट नहीं हुआ, तो अगला कदम होता है – लीगल नोटिस। इसके बाद और 15 दिन का समय दिया जाता है। यानी कुल 45 दिन का वक्त मिल जाता है कानूनी कार्रवाई से पहले।

कानूनी नोटिस और कोर्ट का चक्कर

अगर 45 दिन में भी पैसे नहीं मिले, तो चेक लेने वाला व्यक्ति कोर्ट में केस फाइल कर सकता है। यह केस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत फाइल होता है और आमतौर पर मजिस्ट्रेट कोर्ट में चलता है। कोर्ट में चेक देने वाले को पेश होना पड़ता है, और अगर वो दोषी पाया गया, तो जेल भी हो सकती है। इस स्टेज पर भी अगर पेमेंट हो जाए, तो समझौता हो सकता है।

क्या है सजा और जुर्माने का नियम?

अगर कोर्ट में यह साबित हो जाए कि जानबूझकर चेक बाउंस किया गया, तो दोषी को 2 साल तक की जेल हो सकती है या चेक की रकम से दोगुना जुर्माना, या दोनों। इसके अलावा कोर्ट ब्याज और मुआवजा भी तय कर सकता है, जो चेक बाउंस होने की तारीख से लेकर पेमेंट की तारीख तक लागू होगा।

यह भी पढ़े:
Pension Form Update 2025 में नहीं भरा ये फॉर्म तो 12 महीने की पेंशन अटक सकती है – जानिए पूरा मामला Pension Form Update

कैसे बचें चेक बाउंस के झंझट से?

सबसे आसान तरीका – चेक देते समय यह पक्का कर लें कि अकाउंट में पैसे हैं। सिग्नेचर की जांच करें, ओवरराइटिंग बिल्कुल न करें और समयसीमा के भीतर ही चेक जारी करें। अगर गलती से चेक बाउंस हो भी गया हो, तो सामने वाले से संपर्क करके मामले को तुरंत सुलझा लें। अगर आपको नोटिस मिले तो उसे नजरअंदाज ना करें, तुरंत रेस्पॉन्स करें।

चेक बाउंस सिर्फ एक गलती नहीं, एक सीरियस लीगल मैटर है। अगर आपने चेक दिया है, तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि वह क्लियर हो। और अगर आपको किसी ने चेक दिया है, तो आपके पास पूरा हक है कि आप कानूनी रास्ता अपनाएं। सही समय पर एक्शन लें, ताकि मामला कोर्ट तक न पहुंचे।

Disclaimer

यह भी पढ़े:
Supreme Court June 2025 कब्जा करते रहो और बन जाओ मालिक! सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले ने मचाया धमाल! Supreme Court

यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह किसी कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है। चेक बाउंस या किसी भी प्रकार के वित्तीय विवाद के मामले में हमेशा किसी अनुभवी वकील से सलाह लें। कानून समय के साथ बदल सकते हैं, इसलिए ताज़ा जानकारी लेना जरूरी है।

Leave a Comment

Join Whatsapp Group🔔 लोन और इन्शुरेंस चाहिए?