NEET UG 2025 New Cutoff – NEET UG 2025 का रिजल्ट हाल ही में 14 जून को जारी हो गया है और इसके साथ ही मेडिकल की पढ़ाई का सपना देखने वाले लाखों छात्रों के दिल की धड़कनें तेज हो गई हैं। अच्छी बात ये है कि इस बार NEET की कटऑफ में गिरावट देखने को मिली है। मतलब, अब कम नंबर लाने वालों को भी MBBS कॉलेज मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। खासकर कुछ राज्यों में तो सामान्य वर्ग के छात्र भी 440-470 के बीच में सरकारी कॉलेज पा सकते हैं – जो कि एक बड़ी राहत है।
कटऑफ में गिरावट से बढ़ी उम्मीदें
इस साल NEET टॉपर ने 720 में से 686 नंबर लाए हैं, लेकिन बाकी छात्रों के लिए बड़ी खबर ये है कि कटऑफ पिछले साल से कम गई है। इसका फायदा उन छात्रों को मिलेगा जिन्होंने ज्यादा हाई स्कोर नहीं किया, लेकिन पासिंग मार्क्स के ऊपर हैं और अच्छे रैंक पर हैं। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने इस साल की मेरिट लिस्ट को देखते हुए यह माना है कि MBBS में एडमिशन के लिए इस बार कुछ राज्यों में अपेक्षाकृत कम नंबरों में भी सरकारी मेडिकल सीट मिल सकती है।
भारत में कितनी हैं MBBS सीटें?
देशभर में इस समय लगभग 1,18,790 MBBS सीटें हैं, जो सरकारी और प्राइवेट कॉलेज दोनों मिलाकर हैं। सबसे ज्यादा MBBS सीटें कर्नाटक में हैं – करीब 12,545 सीटें, उसके बाद उत्तर प्रदेश में 12,475 सीटें हैं। वहीं, सबसे ज्यादा मेडिकल कॉलेज भी यूपी में हैं – कुल 86 कॉलेज। इसका मतलब है कि यूपी में कंपटीशन भी ज्यादा है, लेकिन सीटों की संख्या अधिक होने से वहां भी कटऑफ थोड़ी नरम हो सकती है।
इस राज्य में सबसे कम नंबर पर मिल सकता है MBBS एडमिशन
आकाश इंस्टीट्यूट के मेडिकल डिपार्टमेंट के डायरेक्टर नवीन कार्की ने संभावित कटऑफ का एनालिसिस करते हुए बताया कि इस बार तेलंगाना ऐसा राज्य हो सकता है जहां सिर्फ 438 अंकों पर ही सामान्य वर्ग के छात्रों को अंतिम राउंड में सरकारी कॉलेज मिल सकता है। यह उन छात्रों के लिए शानदार मौका है जो बहुत हाई स्कोर नहीं ला सके लेकिन फिर भी डॉक्टर बनने का सपना देख रहे हैं।
तेलंगाना के बाद पुडुचेरी और गोवा का नंबर आता है, जहां सामान्य कैटेगरी के छात्रों को 464 अंकों पर भी सरकारी MBBS सीट मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश (472 अंक), छत्तीसगढ़ और ओडिशा (475 अंक) में भी लो कटऑफ की संभावना जताई गई है।
कटऑफ घटने की वजह क्या है?
नवीन कार्की का कहना है कि देश में इस बार MBBS की सीटें बढ़ी हैं। इसके अलावा कई राज्यों ने नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए हैं। इन दोनों कारणों की वजह से इस साल कटऑफ में गिरावट आई है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि 1–2% का उतार-चढ़ाव संभावित है, लेकिन मोटे तौर पर यह ट्रेंड सही है।
अब क्या करें छात्र?
जिन छात्रों के स्कोर कम हैं, लेकिन कटऑफ के आसपास हैं, उन्हें अब राज्यवार काउंसलिंग की जानकारी ध्यान से पढ़नी चाहिए। कौन-से राज्य में कम नंबर पर सरकारी सीट मिल सकती है, इसका डेटा देखकर सही चॉइस फिलिंग करनी चाहिए। राज्य कोटे और ऑल इंडिया कोटे दोनों की काउंसलिंग में भाग लें और सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स समय पर तैयार रखें।
काउंसलिंग जल्द होगी शुरू
NEET का रिजल्ट आने के बाद अब काउंसलिंग का इंतजार है। AIIMS, JIPMER, और अन्य मेडिकल कॉलेजों की सीटों के लिए काउंसलिंग MCC (Medical Counselling Committee) के ज़रिए की जाएगी। वहीं, राज्यों की अलग-अलग काउंसलिंग एजेंसियां भी जल्दी ही अपनी प्रक्रिया शुरू करेंगी। ऐसे में वेबसाइट्स और नोटिफिकेशन पर नजर बनाए रखें।
इस साल NEET की कटऑफ कम गई है और कई राज्यों में सरकारी MBBS सीट पाने के लिए हाई स्कोर की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिन छात्रों ने 430–480 के बीच स्कोर किया है, उनके लिए खासतौर पर यह सुनहरा मौका है। अब बस सही रणनीति के साथ काउंसलिंग में भाग लेना है और मौके का फायदा उठाना है।
Disclaimer
यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई संभावित कटऑफ अनुमान पर आधारित है और यह राज्य सरकारों की आधिकारिक काउंसलिंग कटऑफ से अलग हो सकती है। दाखिले से जुड़ा कोई भी निर्णय लेने से पहले संबंधित राज्य की काउंसलिंग अथॉरिटी की आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी जरूर लें।