Property Documents – आज के समय में प्रॉपर्टी खरीदना एक बहुत बड़ा फैसला होता है। ये कोई आम खर्चा नहीं, बल्कि आपकी सालों की कमाई और भविष्य की प्लानिंग इससे जुड़ी होती है। लेकिन जितना बड़ा फैसला होता है, उतने ही बड़े रिस्क भी साथ आते हैं। छोटी सी लापरवाही या किसी डॉक्युमेंट की कमी आपको भारी नुकसान में डाल सकती है।
आजकल मार्केट में फर्जी रजिस्ट्री, नकली डॉक्युमेंट और कब्जे जैसी धोखाधड़ी की घटनाएं खूब हो रही हैं। इसलिए जब भी प्रॉपर्टी खरीदने जाएं, तो कुछ जरूरी कागजात की अच्छे से जांच जरूर कर लें। नीचे हम ऐसे ही 6 जरूरी डॉक्युमेंट्स की बात कर रहे हैं जो किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले चेक करना बेहद जरूरी है।
रेरा रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट – सबसे पहले यही देखो
अगर आप कोई फ्लैट या अपार्टमेंट खरीदने जा रहे हैं तो सबसे पहले यह चेक करें कि प्रोजेक्ट रेरा (RERA) में रजिस्टर्ड है या नहीं। रेरा सर्टिफिकेट बताता है कि बिल्डर का प्रोजेक्ट सरकार से मान्यता प्राप्त है और कानूनी रूप से सबकुछ सही है। रेरा नंबर को आप उसकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते हैं।
अगर प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड नहीं है तो समझ लीजिए कि खतरा है। कई बार लोग सिर्फ ब्रोकर्स की बातों में आकर बिना जांचे समझे पैसा लगा देते हैं, बाद में प्रोजेक्ट लटक जाता है या फंस जाता है।
सेल एग्रीमेंट – सौदे की पूरी तस्वीर देता है
सेल एग्रीमेंट यानी बिक्री समझौता वो पेपर होता है जिसमें साफ लिखा होता है कि प्रॉपर्टी कितने में खरीदी जा रही है, कब कब्जा मिलेगा, पेमेंट कैसे और कब-कब देना है, पेनल्टी क्लॉज क्या है और अगर डील कैंसल हुई तो क्या होगा।
ये दस्तावेज उतना ही जरूरी है जितना आधार कार्ड। बैंक लोन के लिए भी इसकी जरूरत होती है। अगर आपको कोई क्लॉज समझ नहीं आए तो किसी वकील से बात कर लेना बेहतर रहेगा।
ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट – कब्जा लेने से पहले ज़रूरी है
कई बार लोग फ्लैट खरीद तो लेते हैं लेकिन बाद में पता चलता है कि बिल्डिंग में बिजली, पानी या सीवरेज जैसी जरूरी सुविधाएं ही नहीं हैं। ऐसे में ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट ज़रूरी है जो यह साबित करता है कि बिल्डिंग अब रहने लायक है और सभी सरकारी नियमों का पालन हुआ है।
ये सर्टिफिकेट लोकल अथॉरिटी जैसे नगर निगम या पंचायत द्वारा जारी होता है। बिना इसके फ्लैट में शिफ्ट होना ठीक नहीं माना जाता।
एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट – कहीं प्रॉपर्टी पर लोन तो नहीं?
यह सर्टिफिकेट बताता है कि जिस प्रॉपर्टी को आप खरीदने जा रहे हैं उस पर पहले से कोई लोन, केस या कानूनी विवाद तो नहीं चल रहा। इसके जरिए आप प्रॉपर्टी की पूरी हिस्ट्री चेक कर सकते हैं – किसके नाम थी, कब-कब खरीदी गई, कहीं गिरवी तो नहीं रखी गई।
कम से कम पिछले 20 सालों का रिकॉर्ड जरूर चेक करें। ये सर्टिफिकेट आपको सब-रजिस्ट्रार ऑफिस से मिल जाएगा।
एनओसी (No Objection Certificate) – हर विभाग से हरी झंडी
किसी भी प्रॉपर्टी के लिए कई विभागों से एनओसी लेना ज़रूरी होता है – जैसे कि फायर डिपार्टमेंट, पर्यावरण विभाग, नगर निगम, बिजली विभाग आदि। इससे ये साबित होता है कि प्रॉपर्टी को लेकर किसी भी सरकारी डिपार्टमेंट को कोई आपत्ति नहीं है।
अगर ये एनओसी नहीं हैं, तो बाद में बिल्डिंग गिराने का नोटिस तक आ सकता है। इसलिए बिल्डर से सारे एनओसी पेपर मांगो और ध्यान से पढ़ो।
स्वामित्व प्रमाणपत्र – कौन है असली मालिक?
अब सबसे जरूरी डॉक्युमेंट आता है – प्रॉपर्टी का ओनरशिप सर्टिफिकेट यानी कि असली मालिक का प्रूफ। इसमें लिखा होता है कि यह प्रॉपर्टी किसके नाम है, वो मालिक कैसे बना (खरीद कर, गिफ्ट में या विरासत में), और जमीन का सर्वे नंबर, एरिया आदि क्या है।
ये सर्टिफिकेट किसी वकील द्वारा तैयार किया जाता है। इसे तैयार कराने से पहले वकील की योग्यता और अनुभव की भी जांच जरूर करें।
आखिर में क्या करें?
- कोई भी डॉक्युमेंट मिस न करें
- हर पेपर की कॉपी खुद रखें
- शक होने पर वकील से सलाह लें
- रजिस्ट्रेशन से पहले दोबारा क्रॉसचेक करें